वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 3.2% की वृद्धि, ₹6.64 लाख करोड़ तक पहुंचा आंकड़ा
वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत में भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है.

वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत में भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक ₹6.64 लाख करोड़ का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि के ₹6.44 लाख करोड़ के मुकाबले 3.2 प्रतिशत अधिक है.
टैक्स बढ़ोतरी के पीछे क्या है मुख्य कारण
इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण कॉरपोरेट टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) से हुई अधिक आय है. हालांकि, गैर-कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में अपेक्षित तेजी नहीं देखी गई है. प्रत्यक्ष करों में आयकर, कॉरपोरेट टैक्स और STT जैसे कर शामिल होते हैं, जिन्हें व्यक्ति या कंपनियां सीधे सरकार को अदा करती हैं.
इस अवधि के दौरान कुछ अन्य करों में गिरावट दर्ज की गई है, जैसे कि वेल्थ टैक्स, जो ₹1,422 करोड़ से घटकर ₹273 करोड़ रह गया. रिफंड की बात करें तो इस वर्ष उसमें भी 38.01 प्रतिशत की तेज़ वृद्धि हुई है. रिफंड के समायोजन के बाद, शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹1.01 लाख करोड़ पर पहुंच गया है.
सरकार के लिए यह कर संग्रह का आंकड़ा कई मायनों में राहतभरा संकेत है. इससे राजकोषीय स्थिति मजबूत होती है और उधारी पर निर्भरता घटती है. यह आर्थिक मजबूती का भी संकेत देता है, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं.
प्रत्यक्ष कर संग्रह की मजबूती देश की आर्थिक सेहत के लिए शुभ संकेत
प्रत्यक्ष कर संग्रह में हुई इस बढ़ोतरी से सरकार को अधोसंरचना विकास, सामाजिक कल्याण योजनाओं और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जो कि दीर्घकालिक आर्थिक विकास को गति देगा. कुल मिलाकर, वर्ष 2025-26 के पहले कुछ महीनों में प्रत्यक्ष कर संग्रह की यह मजबूती देश की आर्थिक सेहत के लिए शुभ संकेत है.


