रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के केस ED ने कोर्ट में किया बड़ा दावा, 42.62 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप
रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. ईडी ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में बताया कि कंपनी ने ऊपरी दबाव डालकर वाणिज्यिक आवासीय विकास के लिए लाइसेंस हासिल किए और 42.62 करोड़ रुपये की अवैध कमाई को वैध दिखाने के लिए कई स्तरों में लेन-देन किया.

Robert Vadra: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट के खिलाफ कोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया है. ईडी के मुताबिक, कंपनी ने वाणिज्यिक व आवासीय विकास के लिए जो लाइसेंस हासिल किए, वे ऊपरी दबाव और प्रक्रियागत नियमों को नजरअंदाज कर लिए गए. यह मामला दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान सामने आया.
ईडी का कहना है कि स्काइलाइट ने इस पूरे मामले में न सिर्फ सरकारी तंत्र को प्रभावित किया, बल्कि डीलएफ जैसी बड़ी कंपनी के साथ सांठगांठ कर काले धन को सफेद करने की कई परतें तैयार कीं. यह अवैध कमाई लगभग 42.62 करोड़ रुपये की बताई जा रही है, जिसे दिल्ली में लेयरिंग कर छिपाने की कोशिश की गई.
लाइसेंस हासिल करने में ऊपरी दबाव का इस्तेमाल
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में बताया कि स्काइलाइट ने जो लाइसेंस प्राप्त किए, उनमें भारी गड़बड़ी हुई. इन लाइसेंसों की प्रक्रिया को जल्दबाजी में पूरा किया गया और कंपनी की आर्थिक स्थिति की कोई जांच नहीं की गई. ईडी ने दावा किया, "लाइसेंस बिना उचित प्रक्रिया और नियमों के उल्लंघन के जरिए जारी किए गए."
सरकारी अधिकारियों के बयान कोर्ट में पढ़े गए
ईडी की ओर से कोर्ट में उन अधिकारियों के बयान पेश किए गए, जो उस वक्त लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में शामिल थे. एजेंसी का कहना है कि इन अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि स्काइलाइट को विशेष दबाव में लाभ दिया गया और उसकी फाइलें बिना सामान्य जांच के पास की गईं.
डीलएफ के साथ मिलकर की गई लेयरिंग
ईडी ने कहा कि स्काइलाइट ने डीलएफ जैसी रियल एस्टेट कंपनी के साथ मिलकर अवैध धन को कई स्तरों में बदलने (लेयरिंग) का काम किया. ईडी ने कोर्ट को बताया, "यह पूरी प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है, जिसमें अपराध से अर्जित राशि को वैध दिखाने की कोशिश की गई."
42.62 करोड़ रुपये की कमाई को बताया अवैध
ईडी ने कोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि रॉबर्ट वाड्रा की स्वामित्व वाली कंपनियों ने जो 42.62 करोड़ रुपये की कमाई की है, वह अवैध है. यह राशि आपराधिक गतिविधियों से जुड़ी है और उसे दिल्ली में विभिन्न माध्यमों से घुमाया गया है. इस कारण यह मामला दिल्ली क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है.
ईडी ने क्यों जोड़ा दिल्ली से मामला?
एजेंसी ने कहा कि चूंकि इस अवैध लेन-देन की प्रक्रिया दिल्ली में हुई, इसलिए राउज एवेन्यू कोर्ट को इस पर सुनवाई का अधिकार प्राप्त है. ईडी ने तर्क दिया, "हमने जांच में पाया है कि पैसा दिल्ली के जरिए घुमाया गया, जिससे यहां की कोर्ट का क्षेत्राधिकार बनता है."


