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होमबाउंड ऑस्कर शॉर्टलिस्ट में शामिल: नॉमिनेशन से एक कदम दूर, क्या बनेगी बात?

भारतीय फिल्म होमबाउंड ने ऑस्कर्स की बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में शॉर्टलिस्ट में जगह बना ली है. ये एक शानदार उपलब्धि है, लेकिन आखिर शॉर्टलिस्ट होने का मतलब क्या है? ये नॉमिनेशन से कैसे अलग है, और अब आगे क्या होगा?

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

नई दिल्ली: डायरेक्टर नीरज घायवान की फिल्म ‘होमबाउंड’ ने ऑस्कर 2026 में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी की शॉर्टलिस्ट में जगह बनाकर भारतीय सिनेमा के लिए बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह कामयाबी इसलिए भी खास है क्योंकि दुनियाभर से भेजी गई 89 फिल्मों में से केवल 15 को ही शॉर्टलिस्ट किया गया है.

हालांकि, यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ है. शॉर्टलिस्ट के बाद अब असली परीक्षा शुरू होती है, जहां से केवल चुनिंदा फिल्में ही फाइनल नॉमिनेशन तक पहुंच पाएंगी. ऐसे में सवाल यह है कि ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट क्या होती है, यह नॉमिनेशन से कैसे अलग है और ‘होमबाउंड’ के लिए आगे की राह कितनी चुनौतीपूर्ण है.

क्या है ऑस्कर शॉर्टलिस्ट?

ऑस्कर शॉर्टलिस्ट को अवॉर्ड रेस का अंतिम पड़ाव से पहले का चरण माना जाता है. बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में दुनिया भर से आई फिल्मों में से पहले शॉर्टलिस्ट तैयार की जाती है. इस बार 15 फिल्मों की शॉर्टलिस्ट बनाई गई है. इन सभी फिल्मों को अकादमी के सदस्य देखते हैं और फिर वोटिंग के जरिए फाइनल नॉमिनेशन तय किए जाते हैं. यानी शॉर्टलिस्ट में शामिल होना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है.

‘होमबाउंड’ की कहानी और कलाकार

‘होमबाउंड’ में जान्हवी कपूर, ईशान खट्टर और विशाल जेठवा अहम भूमिकाओं में नजर आते हैं. फिल्म भारतीय सामाजिक ढांचे में गहराई से जमी जाति और धर्म आधारित भेदभाव की सच्चाई को सामने रखती है. कहानी एक ही गांव के दो जिगरी दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी पहचान बनाने और सम्मान के साथ जीने की जद्दोजहद करते हैं. करण जौहर द्वारा बनाया गया यह फिल्म असमानता, संघर्ष, उम्मीद और हौसले जैसे विषयों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है.

ऑस्कर 2026: फाइनल नॉमिनेशन तक का सफर

अब ‘होमबाउंड’ को एक महीने लंबे अहम चरण से गुजरना होगा. इस दौरान अकादमी के सदस्य शॉर्टलिस्ट में शामिल सभी फिल्मों को देखते हैं और वोटिंग के जरिए फाइनल नॉमिनेशन तय करते हैं. इस रेस में जाफर पनाही की यह महज एक दुर्घटना थी (फ्रांस), पार्क चान-वूक की कोई अन्य विकल्प नहीं (दक्षिण कोरिया) और जोआकिम ट्रियर की भावुक मूल्य (नॉर्वे) जैसी चर्चित फिल्में भी शामिल हैं, जिससे मुकाबला बेहद कड़ा माना जा रहा है.

भारत और बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म का इतिहास

ऑस्कर के 98 साल के इतिहास में भारत की गिनती चुनिंदा मौकों पर ही इस कैटेगरी में हुई है. अब तक केवल चार भारतीय फिल्में शॉर्टलिस्ट तक पहुंची हैं, जिनमें से तीन को फाइनल नॉमिनेशन मिला.

  • मदर इंडिया (1957) - इब्राहिम खान

  • सलाम बॉम्बे! (1988) - मीरा नायर

  • लगान (2002) - आशुतोष गोरीकर

अगर ‘होमबाउंड’ फाइनल नॉमिनेशन तक पहुंचती है, तो यह ऐसा करने वाली चौथी भारतीय फिल्म बन जाएगी. गौरतलब है कि 2021 में पैन नलिन की गुजराती फिल्म लास्ट फिल्म भी शॉर्टलिस्ट में थी, लेकिन फाइनल नॉमिनेशन तक नहीं पहुंच सकी.

भारत का ऑस्कर सपना और उम्मीद

अब तक भारत किसी फिल्म कैटेगरी में ऑस्कर नहीं जीत पाया है. हालांकि, SS राजामौली की RRR के गाने ‘नातु नातु’ ने बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का ऑस्कर जीतकर इतिहास रचा था. ‘होमबाउंड’ के जरिए भारत के पास एक बार फिर इस प्रतिष्ठित मंच पर बड़ी सफलता दर्ज कराने का मौका है.

कब आएगा फाइनल फैसला?

ऑस्कर 2026 के फाइनल नॉमिनेशन 22 जनवरी 2026 को घोषित किए जाएंगे. अकादमी में वोटिंग 12 से 16 जनवरी के बीच होगी.

ऑस्कर 2026: बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म शॉर्टलिस्ट

बेलेन (अर्जेंटीना)

द सीक्रेट एजेंट (ब्राजील)

इट वाज जस्ट एन एक्सीडेंट (फ्रांस)

साउंड ऑफ फॉलिंग (जर्मनी)

होमबाउंड (भारत)

द प्रेसिडेंट्स केक (इराक)

कोकुहो (जापान)

ऑल दैट्स लेफ्ट ऑफ़ यू (जॉर्डन)

सेंटिमेंटल वैल्यू (नॉर्वे)

पैलेस्टाइन 36 (पैलेस्टाइन)

नो अदर चॉइस (दक्षिण कोरिया)

सिरात (स्पेन)

लेट शिफ्ट (स्विट्जरलैंड)

लेफ्ट-हैंडेड गर्ल (ताइवान)

द वॉइस ऑफ हिंद रजब (ट्यूनीशिया)

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17 December 2025, 03:33 PM IST

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