सिर्फ 80 सेकंड में तैयार, 46 KM दूर सटीक वार! भारत की तोपों से दहले दुश्मन देश, विदेशों में भी बढ़ी डिमांड
भारत की स्वदेशी तोप प्रणालियां MGS और ATAGS अब भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को नई ऊंचाई दे रही हैं और वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा तकनीक की ताकत का प्रदर्शन कर रही हैं.

भारत की रक्षा ताकत अब पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक और आत्मनिर्भर हो चुकी है. देश में तैयार की गई अत्याधुनिक तोप प्रणालियां, जैसे माउंटेड गन सिस्टम (MGS) और एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), अब ना सिर्फ भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को कई गुना बढ़ा रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी चर्चा का विषय बन चुकी हैं. इन दोनों हथियारों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सेना के सहयोग से विकसित किया है.
भारत की ये उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सशक्त कर रही है. लगभग 85% स्वदेशी तकनीक से बने इन हथियारों ने ना सिर्फ आयात पर निर्भरता कम की है, बल्कि युद्ध के मैदान में सेना की स्थिति को भी बेहद मजबूत कर दिया है.
MGS: आधुनिक युद्ध के लिए गेम चेंजर गन सिस्टम
माउंटेड गन सिस्टम (MGS) का विचार साल 2018 में सामने आया था और 2019 में इसे आधिकारिक मंजूरी मिल गई. इसके बाद 2021 में इसका निर्माण शुरू हुआ और 2023 तक ये पूरी तरह से तैयार कर ली गई. करीब 30 टन वजनी ये तोप प्रणाली आधुनिक युद्ध के परिदृश्य में गेम चेंजर साबित हो सकती है.
हर जमीन पर तैयार: ये प्रणाली रेगिस्तान, पहाड़ और मैदानी इलाकों में समान रूप से काम करने में सक्षम है. 1 मीटर गहराई तक पानी में चल सकती है और 20 डिग्री तक की ढलान पर चढ़ने की क्षमता रखती है.
उत्कृष्ट गतिशीलता: ये 800 मिमी तक के गड्ढों को पार कर सकती है और एक जगह से फायरिंग के तुरंत बाद लोकेशन बदल सकती है, जिससे दुश्मन के लिए इसे ट्रैक करना कठिन हो जाता है.
घातक मारक क्षमता: ये प्रणाली 46 किलोमीटर दूर तक सटीक हमला कर सकती है और एक बार में 50 स्क्वायर फीट के क्षेत्र को तबाह कर देती है. ये एक मिनट में 6 गोले दाग सकती है और इसके साथ लगे वाहन में 24 गोले स्टोर हो सकते हैं, जिनमें हर एक गोले का वजन लगभग 45 किलोग्राम होता है.
उन्नत संचालन और सुरक्षा विशेषताएं
फायरिंग में तेजी: फायरिंग से पहले केवल 80 सेकंड में इसे तैयार किया जा सकता है.
ऑपरेशनल स्टाफ: इस प्रणाली को ऑपरेट करने के लिए 6 लोगों की टीम की आवश्यकता होती है.
ड्राइवर सुरक्षा: ड्राइवर का केबिन पूरी तरह बुलेटप्रूफ होता है.
लंबी दूरी तक संचालन: एक बार फ्यूल भरने के बाद ये वाहन 400 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है और इसका जनरेटर 12 घंटे तक लगातार काम कर सकता है.
संपूर्ण कंप्यूटरीकरण: ये एक पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड प्रणाली है – बस लोकेशन के कोऑर्डिनेट्स दर्ज कीजिए और ये सटीक निशाना लगाती है.
ATAGS: भारत की अपनी अडवांस तोप प्रणाली
एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) को DRDO ने विकसित करने में 10 सालों का समय लिया. ये प्रणाली भी लगभग 85% स्वदेशी है, जबकि केवल 15% हिस्से विदेशी तकनीक के हैं. इसका कुल वजन 19.5 टन है.
शक्तिशाली फायरिंग रेट: ये तोप एक मिनट में 5 गोले और 2.3 मिनट में 10 गोले दाग सकती है.
गतिशीलता और सटीकता: ये 40 किमी/घंटा की रफ्तार से टो होकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाई जा सकती है और इसकी फायरिंग की एक्यूरेसी केवल 0.6% त्रुटि के साथ होती है.
तैयारी में समय: युद्ध के मैदान में इस प्रणाली को पूरी तरह तैयार होने में मात्र 2 मिनट 30 सेकंड लगते हैं.
सेना में शामिल और निर्यात की दिशा में अग्रसर
भारतीय सेना ने ATAGS के 307 यूनिट्स का ऑर्डर दिया है, जिससे ये साफ है कि सेना इसे भविष्य की मुख्य तोप प्रणाली के रूप में देख रही है. खास बात ये है कि आर्मेनिया को इसकी पहली खेप भी सौंप दी गई है, जो भारत के रक्षा निर्यात को नई दिशा दे रही है.


