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सुप्रीम कोर्ट का आजअहम फैसला, क्या हटेंगे दिल्ली‑NCR के आवारा कुत्ते? विरोध ने पकड़ा तूल

दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सभी कुत्तों को पकड़कर शेल्टर भेजने का आदेश दिया था. इसका पूरे देश में विरोध हुआ, खासकर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे अमानवीय बताया. मामले पर तीन न्यायाधीशों की विशेष बेंच ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसका आज निर्णय होना है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Stray Dogs Issue: आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट दिल्ली एनसीआर क्षेत्र से आवारा कुत्तों को हटाने संबंधी पूर्व आदेश पर अपना अंतिम फैसला सुनाने वाली है. यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप भी ले चुका है, क्योंकि देशभर में कई लोगों ने इस आदेश का विरोध किया. पशु प्रेमियों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई अमानवीय है और इसका हल टीकाकरण व नसबंदी जैसे मानवीय तरीकों से निकाला जाना चाहिए.

कैसे शुरू हुआ मामला 

आपको बता दें कि मामला शुरुआत में 28 जुलाई को उठा, जब अदालत ने खुद संज्ञान लिया (सुप्रामो टेम मामला) एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर जिसमें दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में बच्चों पर बढ़ते कुत्ता-काटने और रेबीज़ जैसी समस्याओं का हवाला था. इस पर 11 अगस्त को दो न्यायाधीशों की बेंच ने स्थानीय अधिकारियों को उपलब्धतम समय में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में भेजने का निर्देश दे दिया. यह कदम प्रशासनिक दृष्टिकोण से तेज था, लेकिन कई लोगों ने इसकी मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टि से आलोचना की.

विरोध और आरोपों की वजह
इस आदेश ने कई पशु प्रेमियों, जनवरीकों, और वेटरिनरी विशेषज्ञों को चिन्तित कर दिया. उनका कहना था कि यह तरीका न केवल क्रूर है, बल्कि असंवेदनशील और अनवैज्ञानिक भी है. उनका सुझाव था कि बजाय पकड़कर हटाने के, सरकार को आवारा कुत्तों के टीकाकरण और नसबंदी (स्पेय/न्यूटेरिंग) जैसे दीर्घकालिक हल अपनाने चाहिए. ये दृष्टिकोण स्थायी समाधान की ओर ध्यान रखते हैं, जबकि तत्काल हटाने वाला आदेश केवल अस्थायी राहत दे सकता था.

विशेष बेंच की सुनवाई और संरक्षण
उपरोक्त विरोध के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विशेष ध्यान दिया और 14 अगस्त को एक तीन-न्यायाधीशों की बेंच (न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन. वी. अंजरिया) गठित की गई. इस बेंच ने स्पष्ट किया कि दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या असल में स्थानीय अधिकारियों द्वारा अनदेखी और कुत्तों के गर्भनिरोधक एवं टीकाकरण के नियमों के पालन में कमी के कारण जटिल हो गई है. उन्होंने तत्काल हटा देने के आदेश पर अस्थायी रोक (stay) लगाने की याचिका पर निर्णय सुरक्षित रखा, ताकि आगे सुनवाई के बाद ही आखिरी फैसला लिया जाए.

जनता और सरकार की प्रतिक्रिया
इस आदेश ने राजनीति और सामाजिक प्रतिक्रियाओं को भी जन्म दिया. कुछ पशु प्रेमियों ने इसे निजी भावनाओं पर चोट मानते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी. ऐसा ही एक मामला गुजरात का एक व्यक्ति था जिसने कथित रूप से इस आदेश का विरोध करते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री Rekha Gupta पर सार्वजनिक स्थान पर शारीरिक रूप से हमला कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार ने आदेश को हाथ में लेते हुए जनता की भावनाओं की अनदेखी की. सरकार ने दलित-बहुसंख्यक जनता के एक शांत समूह की तुलना विरोध करने वाले शोर मचाने वाले एक छोटे समूह से करते हुए यह कहते हुए अपना पक्ष रखा कि व्यापक जनता इस समय चुपचाप मुश्किलें झेल रही है.

कुत्तों को छुड़ाने के लिए विरोध में उतरे लोग 
आवारा कुत्तों को हटाने के लिए सरकारी टीमें जब क्षेत्र में आईं, तो कुछ लोग कुत्तों को छुड़ाने के लिए विरोध करने लगे. कई जगहों पर ये टकराव इतना बढ़ा कि पुलिस-जनता में संघर्ष हो गया और उन घटनाओं में एफआईआर भी दर्ज करवाई गईं. इससे मामला और भावनात्मक रूप से तीव्र हो गया.

आज का दिन, सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अब, जैसा कि आप बता रहे हैं, अदालत ने 14 अगस्त को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था और आज—22 अगस्त 2025 को इस विवाद पर अंतिम फैसला सुनाने वाली है. इसमें यह स्पष्ट हो जाएगा कि 11 अगस्त के आदेश में कितनी परिवर्तन की जाती है, क्या मौलिक दिशा-निर्देश बदले जाएंगे, और आगे क्या संशोधन या अपेक्षा की जा सकती है.

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22 August 2025, 06:29 AM IST

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