score Card

भारत बना सकता है AI का मंगलयान! जानिए कैसे DeepSeek के आर1 मॉडल से बदल सकती है गेम

हाल ही में चीन के डीपसीक स्टार्ट-अप ने AI के क्षेत्र में एक नया मॉडल लॉन्च किया है, जो लागत प्रभावी होने के साथ-साथ अपनी ताकतवर क्षमता के लिए चर्चा में है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को भी इस मॉडल से प्रेरणा लेकर AI में बड़ा कदम उठाना चाहिए. क्या भारत भी AI के क्षेत्र में दुनिया से आगे निकल सकता है? जानिए कैसे डीपसीक का आर1 मॉडल भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है! इस बारे में और क्या कहा गया है और भारत को कैसे AI में एक वैश्विक लीडर बनने का मौका मिल सकता है, यह जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!

Aprajita
Edited By: Aprajita

India  AI Mars Mission: नई दिशा में भारत का एआई सफर भारत के लिए एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के क्षेत्र में एक नई दिशा खुल सकती है, खासकर जब इसरो के सफलता के मॉडल को ध्यान में रखा जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत एआई में एक 'मंगलयान' जैसा कदम उठा सकता है, अगर सही तरीके से गति पकड़ी जाए. हाल ही में लॉन्च हुआ चीनी एआई स्टार्ट-अप डीपसीक का आर1 मॉडल इस दिशा में भारत के लिए एक प्रेरणा बन सकता है.

डीपसीक का आर1 मॉडल: क्रांतिकारी तकनीक

डीपसीक ने हाल ही में अपने आर1 मॉडल का अनावरण किया, जो न केवल कम लागत में अत्याधुनिक तकनीक की पेशकश करता है, बल्कि इसे विकसित करने में सीमित संसाधनों का भी इस्तेमाल किया गया है. भारत के लिए यह एक आदर्श साबित हो सकता है. आईआईआईटी- दिल्ली के प्रोफेसर गौतम श्रॉफ और आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर मयंक वत्स ने कहा कि यदि भारत भी इस तरह के नवाचारों को अपनाए, तो वह एआई में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है.

भारत का एआई में भविष्य

आर1 मॉडल ने इस क्षेत्र में हलचल मचा दी है और दुनिया भर में इसकी चर्चा हो रही है. इसके मुकाबले, अन्य दिग्गज कंपनियाँ जैसे OpenAI और गूगल ने अपने मॉडल पर लाखों डॉलर खर्च किए हैं. लेकिन डीपसीक का आर1 मॉडल केवल 6 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार हुआ, और यह अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बहुत कम संसाधनों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है.

भारत को भी अपनी एआई यात्रा को तेज करना होगा

भारत को डीपसीक के आर1 मॉडल से सीखते हुए अपने एआई क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और घरेलू तकनीकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर पुष्पक भट्टाचार्य ने कहा कि एआई के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर भी इस तकनीक में सुधार की जरूरत है, और भारत को स्वदेशी एआई मॉडल विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए.

एआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा

अगर भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के जैसा ही एआई में भी आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए, तो वह भविष्य में दुनिया के अग्रणी एआई देशों में शामिल हो सकता है. इसके लिए जरूरी है कि सरकार, उद्योग और शोधकर्ताओं के बीच सहयोग बढ़े और निरंतर वित्त पोषण की योजना बनाई जाए.

नवीनता और लागत प्रभाविता का सही संतुलन

शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत को डीपसीक जैसे मॉडल से प्रेरणा लेकर एआई के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करने चाहिए. बायोमेट्रिक्स, कंप्यूटर विज़न, और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में भारत के पास बहुत क्षमता है, बस इसे सही दिशा में निवेश और विकास की आवश्यकता है.

भारत को अगला एआई क्रांति बनना होगा

अगर भारत को एआई के क्षेत्र में दुनिया की प्रतिस्पर्धा से आगे निकलना है, तो उसे डीपसीक के आर1 मॉडल की गति को अपनाना होगा. यह न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी एआई क्षमताओं के विकास के लिए एक मजबूत आधार हो सकता है. इसलिए, भारत को इस अवसर का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी गति को तेज करना होगा और भविष्य में एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ना होगा.

calender
29 January 2025, 05:39 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag