Video: भारत के 52वें CJI और पहला बौद्ध मुख्य न्यायधीश बने जस्टिस बीआर गवई, शपथ लेते ही मां के पैर छुए
भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस बीआर गवई ने शपथ ली है. वो न सिर्फ भारत के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं बल्कि दलित समुदाय से आने वाले दूसरे चीफ जस्टिस भी हैं. शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जो एक भावुक पल था. जानिए जस्टिस गवई के कार्यकाल से जुड़ी दिलचस्प बातें!

Chief Justice Of India: भारत में सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस बीआर गवई ने शपथ ले ली है. राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई. इस समारोह में जस्टिस गवई का परिवार भी मौजूद था और जस्टिस गवई ने शपथ लेने के बाद अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जो एक संवेदनशील और सम्मानजनक पल था.
भारत के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस
जस्टिस बीआर गवई भारत के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं. उनके चीफ जस्टिस बनने से पहले, वे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में कई महत्वपूर्ण मामलों में अपने फैसलों के लिए प्रसिद्ध रहे हैं. साथ ही, वे आजादी के बाद दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई हैं, जो उनके कार्यकाल को और भी ऐतिहासिक बनाता है.
चुनौतियां और कार्यकाल
जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा, जो एक छोटी अवधि है. इस दौरान, वे सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख मामलों पर फैसले देंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वाह करेंगे. उनका कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट के कई अहम मामलों की सुनवाई और निर्णय का गवाह बनेगा.
#WATCH | Delhi: CJI BR Gavai greets President Droupadi Murmu, Prime Minister Narendra Modi, Vice President Jagdeep Dhankhar, former President Ram Nath Kovind and other dignitaries at the Rashtrapati Bhavan. He took oath as the 52nd Chief Justice of India.
— ANI (@ANI) May 14, 2025
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जस्टिस गवई के महत्वपूर्ण फैसले
जस्टिस गवई ने अपने करियर में कई अहम फैसले सुनाए हैं, जो देश के कानूनी इतिहास में याद किए जाएंगे. इनमें से एक महत्वपूर्ण मामला था 'बुलडोजर जस्टिस' के खिलाफ फैसला, जिसमें उन्होंने आश्रय के अधिकार पर जोर दिया था. उन्होंने मनमानी तोड़फोड़ को प्राकृतिक न्याय और कानून के शासन के सिद्धांतों के खिलाफ बताया. इसके अलावा, उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखने, और अनुसूचित जाति के कोटे में उप-वर्गीकरण को भी बरकरार रखा, जो उनके निर्णयों को और भी महत्वपूर्ण बनाता है.
समाज के लिए जस्टिस गवई की भूमिका
जस्टिस गवई का सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल सिर्फ एक न्यायिक कार्यकाल नहीं है, बल्कि यह समाज के एक बड़े वर्ग के लिए आशा का प्रतीक है. उनके फैसले और दृष्टिकोण भारत में न्यायपालिका के प्रति विश्वास को मजबूत करते हैं. उनके जैसे नेताओं का कर्तव्य यह है कि वे न्याय की सर्वोच्चता बनाए रखें और समाज के कमजोर वर्गों के हक में फैसले दें.
जस्टिस बीआर गवई के चीफ जस्टिस बनने से यह प्रतीत होता है कि भारत में न्यायपालिका में विविधता और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जो हर वर्ग के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है.


