भारत का बड़ा कदम: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि निलंबित, क्या पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति तुरंत बंद हो जाएगी?
भारत ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है. अब भारत के पास इन नदियों का पानी नियंत्रित करने का अधिकार है. इस निर्णय से पाकिस्तान की कृषि, बिजली आपूर्ति और जीवन-यापन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

Jammu And Kashmir Terror Attack: भारत ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. यह 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक समझौता था, जिसके तहत सिंधु बेसिन की छह नदियों – रावी, ब्यास, सतलुज, सिंधु, झेलम और चिनाब – के पानी का बंटवारा किया गया था. इस संधि के निलंबन से पाकिस्तान के लिए कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि यह निलंबन पाकिस्तान पर किस तरह से असर डाल सकता है.
सिंधु जल संधि का निलंबन क्यों?
भारत ने यह कदम तब उठाया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई. इस हमले को पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने अंजाम दिया था, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा है. हमले के बाद भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट बैठक बुलाकर सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया. यह निर्णय भारत के लिए एक रणनीतिक कदम था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को यह संदेश देना था कि आतंकवाद के खिलाफ भारत पीछे नहीं हटेगा.
सिंधु जल संधि का इतिहास
सिंधु जल संधि पर 1960 में विश्व बैंक की गारंटी के साथ हस्ताक्षर किए गए थे. इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियां – रावी, ब्यास और सतलुज – मिलीं, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियां – सिंधु, झेलम और चिनाब – दी गईं. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल विवादों को हल करना था और इसे एक दुर्लभ कूटनीतिक सहयोग के रूप में देखा जाता था. इस संधि के बाद भी कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा, लेकिन इस समझौते ने कभी भी जल विवादों को युद्ध का कारण नहीं बनने दिया.
क्या अब पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति तुरंत बंद हो जाएगी?
हालांकि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है, लेकिन इसका तत्काल असर पाकिस्तान पर नहीं पड़ेगा. भारत के पास फिलहाल सिंधु नदी के पानी को रोकने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है. इसके बावजूद, इस निर्णय से पाकिस्तान की कृषि और जलविद्युत परियोजनाओं पर लंबी अवधि में असर पड़ सकता है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर काफी निर्भर है, और इन नदियों के पानी में किसी भी तरह की कमी पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा और बिजली आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है.
सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान के लिए क्या मायने रखता है?
सिंधु जल संधि के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि और जलविद्युत परियोजनाएं संकट में पड़ सकती हैं. पाकिस्तान की अधिकांश जलविद्युत संरचनाएं और बड़े शहर इन नदियों के पानी पर निर्भर हैं. पानी की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान पाकिस्तान में ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है. इसके अलावा, लाखों किसानों की आजीविका भी संकट में आ सकती है.
पाकिस्तान के पास 90 दिन का समय
भारत ने सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद पाकिस्तान को वार्ता के लिए 90 दिन का समय दिया है. हालांकि, पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा सवाल यह होगा कि क्या वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगा और भारत पर आतंकवादी हमलों की निंदा करेगा. यह कदम पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इसका सीधा असर सिंधु जल संधि पर पड़ेगा.
भारत के इस कदम ने पाकिस्तान को एक बार फिर अपनी स्थिति पर विचार करने के लिए मजबूर किया है. पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाने का प्रयास कर सकता है, लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर गंभीर नहीं होता तो स्थिति और भी जटिल हो सकती है.


