हिजाब न पहनने वाली महिलाओं पर हमलों को लेकर बांग्लादेश में आक्रोश, तथ्य जांच
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में महिलाओं पर उनके पहनावे के कारण हमलों के दावे सामने आए हैं, जिन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं मिली है. इस घटना ने बांग्लादेश में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर चिंताओं को बढ़ा दिया है.

सोशल मीडिया पर हाल के दिनों में ऐसे कई वीडियो और पोस्ट तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि महिलाओं पर उनके पहनावे को लेकर हमले किए जा रहे हैं. इन दावों के अनुसार, कथित तौर पर पश्चिमी कपड़े पहनने या हिजाब और बुर्का न पहनने की वजह से महिलाओं को निशाना बनाया गया. हालांकि इन घटनाओं की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सोशल मीडिया पर इन वीडियो की बाढ़ ने लोगों के बीच डर, आक्रोश और तीखी बहस को जन्म दे दिया है.
राजनीतिक माहौल में तनाव
कई लोगों का मानना है कि यदि ये दावे सच हैं, तो यह स्थिति कानून-व्यवस्था के कमजोर पड़ने और भीड़ के जरिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता नियंत्रित होने का संकेत हो सकती है. इन कथित घटनाओं का समय इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि ये एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान हादी की हत्या के बाद सामने आई हैं. उनकी मौत ने पहले से ही अस्थिर राजनीतिक माहौल में तनाव को और बढ़ा दिया है.
This is so shameful and disgusting📌
— Mariana Times (@timeswmariana) December 18, 2025
A Christian Woman in Bangladesh is assaulted by a pack of rabid savages after they spot her not wearing Burqa/Hijab, wearing Western Clothes. These monsters will never assimilate into our society. pic.twitter.com/rZH4oLBmxO
सोशल मीडिया पर प्रसारित कई वीडियो और संदेश इन कथित हमलों को सीधे तौर पर उसी घटना के बाद पैदा हुई अशांति से जोड़ रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने इन वीडियो की पुष्टि नहीं की है, लेकिन घटनाओं का क्रम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या हिंसा अब आम नागरिकों, खासकर महिलाओं, के रोजमर्रा के जीवन तक फैल रही है.
उस्मान हादी को शरीफ उस्मान हादी के नाम से भी जाना जाता था. वे इंकलाब मंच से जुड़े हुए थे. उनका नाम 2024 के छात्र आंदोलन से भी जोड़ा जाता रहा है. 12 दिसंबर को ढाका में नकाबपोश हमलावरों ने उन पर गोलीबारी की थी. गंभीर रूप से घायल हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. अंतरिम सरकार ने इस हत्या को एक सुनियोजित साजिश बताया और आरोपियों की तलाश के लिए इनाम की घोषणा की.
इस बीच, सोशल मीडिया पर चल रहे कई वीडियो और तस्वीरों को मौजूदा हालात से जोड़कर पेश किया जा रहा है. कुछ पोस्टों में दावा किया गया है कि बांग्लादेश में बुर्का या हिजाब न पहनने के कारण मुस्लिम लड़कियों पर हमले किए गए. हालांकि, तथ्य जांच से जुड़ी कई रिपोर्टें यह संकेत देती हैं कि वायरल हो रहे कुछ वीडियो पुराने हो सकते हैं या उन्हें गलत संदर्भ में साझा किया जा रहा है. इसके बावजूद, ऐसे दावों ने भय का माहौल पैदा कर दिया है.
2 Muslim girls were attacked by Muslims in Bangladesh for not wearing Burqa & Hijabpic.twitter.com/4gYCh8dc2k
— Kreately.in (@KreatelyMedia) December 19, 2025
हादी की मौत के बाद प्रदर्शन तेज
हादी की मौत के बाद ढाका समेत कई शहरों में प्रदर्शन तेज हो गए. कई जगहों पर ये विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप ले बैठे. मीडिया संस्थानों और राजनीतिक दफ्तरों को निशाना बनाया गया, जिससे हालात और बिगड़ गए. भीड़ को काबू में करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. ऐसे माहौल में महिलाओं पर कथित हमलों की खबरों ने स्थिति को और संवेदनशील बना दिया है, क्योंकि इससे यह संकेत मिलता है कि अशांति केवल राजनीतिक विरोध तक सीमित नहीं रही, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को भी प्रभावित कर रही है.
अब तक बांग्लादेशी अधिकारियों ने महिलाओं के पहनावे या धार्मिक पहचान के आधार पर हमलों को लेकर कोई स्पष्ट आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. पुलिस या प्रशासन की ओर से इन वायरल दावों पर सीधी प्रतिक्रिया न आने से सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं. कई सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक समूह प्रशासन से पारदर्शिता, त्वरित जांच और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं.
इन आरोपों ने महिलाओं की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सौहार्द जैसे मुद्दों को फिर से केंद्र में ला दिया है. ईसाई और मुस्लिम महिलाओं को समान रूप से निशाना बनाए जाने के दावों ने नैतिक पहरेदारी और कट्टरता को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है. भले ही आधिकारिक पुष्टि न हुई हो, लेकिन वायरल कंटेंट ने जनता के विश्वास को प्रभावित किया है.
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती कई इलाकों में की गई है, फिर भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों और संस्थानों पर घटते भरोसे के बीच यह सवाल गहराता जा रहा है कि क्या राजनीतिक अस्थिरता के दौर में राज्य नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा की प्रभावी ढंग से रक्षा कर पाएगा. कई विशेषज्ञों के अनुसार, यह समय बांग्लादेश के कानून के शासन और सामाजिक स्थिरता के लिए एक अहम परीक्षा बन गया है.


