भारत के ‘वॉटर बम’ ने पाकिस्तान में मचाई हलचल, इमरान खान के सांसद ने दी बड़ी चेतावनी!
भारत ने आतंकवादी हमला होने के बाद सिंधु जल संधि को रोक दिया है जिससे पाकिस्तान में पानी की किल्लत को लेकर भारी चिंता पैदा हो गई है. विपक्षी नेता ने चेताया है कि अगर ये संकट नहीं सुलझा तो लोग भूख से मर सकते हैं. जानिए क्या है ये ‘वॉटर बम’ और कैसे ये दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ा रहा है. पूरी खबर में पढ़िए.

India Water-Bomb: भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद एक बार फिर तूल पकड़ रहा है. हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से रोक दिया है. इस फैसले ने पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल मचा दिया है. पाकिस्तान के विपक्षी नेता और इमरान खान की पार्टी के सांसद सैयद अली ज़फर ने इसे ‘वॉटर बम’ बताया है और चेतावनी दी है कि अगर जल संकट का समाधान नहीं हुआ तो पाकिस्तान के लोग भूखे मर जाएंगे.
सिंधु जल संधि क्या है?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि छह नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज — के जल बंटवारे का नियम है. पाकिस्तान इन नदियों के 93% जल का इस्तेमाल सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है. यहां की 80% कृषि भूमि इसी जल पर निर्भर है. सिंधु बेसिन पाकिस्तान की ‘जीवन रेखा’ है, जिससे देश की लगभग 90% फसलें उगती हैं.
पाकिस्तान में बढ़ती चिंता और सांसद की चेतावनी
पाकिस्तान के विपक्षी नेता सैयद अली ज़फर ने संसद में कहा कि अगर भारत से पानी के विवाद का समाधान नहीं हुआ, तो पाकिस्तान में पानी की कमी से भारी संकट आएगा. उन्होंने बताया कि सिंधु बेसिन पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था टिकी हुई है. ज़फर ने इसे ‘पानी का बम’ कहा और कहा कि यह संकट देश के लिए बड़ा खतरा है.
भारत का कड़ा रुख: आतंक और समझौता साथ नहीं चल सकते
22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या के बाद भारत ने साफ कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद रोकता नहीं, तब तक सिंधु जल संधि पर अमल नहीं होगा. विदेश सचिव विनय क्वात्रा के नेतृत्व में भारत ने सात देशों में विशेष टीमें भेजी हैं ताकि पाकिस्तान के ‘पीड़ित देश’ के दावों को बेबुनियाद साबित किया जा सके.
सिंधु जल संधि का भविष्य और संभावित असर
विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु जल संधि का अल्पकालिक असर सीमित रह सकता है, लेकिन भारत दीर्घकाल में जल प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है या जल भंडारण की संरचनाएं बना सकता है. इससे पाकिस्तान की कृषि और बिजली उत्पादन को गंभीर नुकसान हो सकता है.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और तनाव
पाकिस्तान सरकार ने भारत से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भी भारत की नीति की कड़ी निंदा की है. वहीं भारत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि आतंकवाद और समझौते एक साथ नहीं चल सकते.
भारत और पाकिस्तान के बीच पानी का यह नया विवाद दोनों देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. पानी की इस समस्या से निपटने के लिए कूटनीति और बातचीत बेहद जरूरी होगी. फिलहाल, दोनों तरफ तनाव बढ़ रहा है और इस ‘वॉटर बम’ के दांव-पेंच देश की राजनीति में गहरा असर डाल रहे हैं.


