EOS-9 को ऑर्बिट में क्यों नहीं पहुंचा पाया PSLV रॉकेट? जानिए ISRO लॉन्च फेल होने की वजह
ISRO Mission Failed: भारत का EOS-9 सैटेलाइट अंतरिक्ष की तय कक्षा में नहीं पहुंच सका क्योंकि PSLV रॉकेट का लॉन्च तीसरे चरण में तकनीकी खराबी के चलते विफल हो गया. ISRO के मुताबिक, ठोस ईंधन चरण के दौरान चैंबर प्रेशर में अचानक गिरावट दर्ज की गई, जिससे मिशन अधूरा रह गया.

ISRO Mission Failed: भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को उस समय झटका लगा जब उसका भरोसेमंद PSLV रॉकेट EOS-9 सैटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा में नहीं पहुंचा सका. रविवार सुबह श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ PSLV-सी63 मिशन अपने तीसरे चरण में दबाव में आई गिरावट के कारण असफल हो गया.
EOS-9 एक अहम पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट था जिसे भारत की निगरानी क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने के लिए लॉन्च किया जा रहा था. अगर यह सैटेलाइट पृथ्वी से 500 किलोमीटर ऊपर सफलतापूर्वक स्थापित हो जाता, तो यह दिन-रात और हर मौसम में निगरानी में सक्षम होता.
तीसरे चरण में आई तकनीकी गड़बड़ी
ISRO ने जानकारी दी कि PSLV रॉकेट के पहले और दूसरे चरण सफलतापूर्वक पूरे हुए, लेकिन तीसरे चरण में ठोस ईंधन (solid fuel) के उपयोग के दौरान एक असामान्यता देखी गई. जैसे ही रॉकेट तीसरे चरण में पहुंचा, चैंबर प्रेशर (कक्षीय दबाव) में गिरावट दर्ज की गई जिससे पूरी उड़ान बाधित हो गई.
इस तकनीकी खराबी की वजह से EOS-9 सैटेलाइट को उसकी निर्धारित कक्षा में नहीं पहुंचाया जा सका. यह ISRO की PSLV श्रृंखला की 63वीं उड़ान थी और इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था.
भारत की निगरानी क्षमताओं के लिए अहम था EOS-9
EOS-9 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह था जिसे विभिन्न क्षेत्रों में रिमोट सेंसिंग डेटा उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया था. खासतौर पर यह उपग्रह रक्षा और सीमा निगरानी के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा था.
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम के बाद सीमाओं पर निगरानी को और अधिक मजबूत करने के लिए EOS-9 का प्रक्षेपण रणनीतिक रूप से अहम था. इस सैटेलाइट की सबसे खास बात यह थी कि यह रात और खराब मौसम में भी निगरानी करने में सक्षम था.
ISRO की निगरानी क्षमताएं पूरी तरह नहीं रुकीं
हालांकि इस मिशन की असफलता से एक झटका जरूर लगा है, लेकिन ISRO की निगरानी प्रणाली पूरी तरह ठप नहीं हुई है. वर्तमान में चार रडार सैटेलाइट और आठ हाई-रिज़ॉल्यूशन कार्टोसैट सैटेलाइट्स देश की सीमाओं पर सतत निगरानी बनाए हुए हैं. ISRO जल्द ही EOS-9 के विकल्प या सुधारित संस्करण को दोबारा लॉन्च करने की दिशा में कार्य कर सकता है.


