जस्टिस बेला त्रिवेदी को नहीं मिला फेयरवेल, सीजेआई बीआर गवई ने SCBA कटघरे में किया खड़ा
भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी को विदाई न देने के फैसले की निंदा की. त्रिवेदी, सुप्रीम कोर्ट की ग्यारहवीं महिला जज थीं, जिन्होंने 2021 में पद संभाला था और 2025 में समय से पहले सेवा समाप्त की. उन्होंने अपने कार्यकाल में न्यायपालिका में निष्पक्षता और ईमानदारी का परिचय दिया. CJI ने उनके योगदान को सराहा और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के उस निर्णय की कड़ी आलोचना की, जिसमें न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी के लिए विदाई समारोह आयोजित नहीं किया गया. CJI ने इस कदम को अनुचित बताते हुए कहा कि वे इस व्यवहार की खुले तौर पर निंदा करते हैं, क्योंकि ऐसे महत्वपूर्ण अवसरों पर सम्मानजनक विदाई देना न्यायपालिका की गरिमा का हिस्सा होता है.
न्यायमूर्ति त्रिवेदी की उपलब्धियों को सराहा
CJI गवई ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी की निष्पक्षता, ईमानदारी और परिश्रम की सराहना करते हुए उन्हें भारतीय न्यायपालिका की अमूल्य संपत्ति बताया. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने अपने पूरे कार्यकाल में न्याय की भावना से निर्णय लिए और उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में भी उनका नाम उल्लेखनीय रहा है.
हालांकि SCBA द्वारा कार्यक्रम न रखने का निर्णय विवादास्पद रहा, लेकिन CJI ने बार अध्यक्ष कपिल सिब्बल और उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव की मौजूदगी की सराहना की, जिन्होंने संस्था के निर्णय के बावजूद न्यायमूर्ति त्रिवेदी के सम्मान में उपस्थित होकर गरिमा बनाए रखी.
न्यायमूर्ति त्रिवेदी का न्यायिक सफर
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी ने अपने करियर की शुरुआत जुलाई 1995 में गुजरात की ट्रायल कोर्ट से की थी. इसके बाद उन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय में रजिस्ट्रार विजिलेंस और गुजरात सरकार में विधि सचिव जैसे अहम प्रशासनिक पदों पर भी कार्य किया. वर्ष 2011 में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया और बाद में 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति मिली. वे सर्वोच्च न्यायालय की उन ग्यारह महिला जजों में शामिल हैं जिन्होंने अब तक इस शीर्ष पद को प्राप्त किया है.
रिटायरमेंट से पूर्व विदाई
हालांकि न्यायमूर्ति त्रिवेदी की सेवानिवृत्ति की आधिकारिक तिथि 9 जून 2025 थी, लेकिन व्यक्तिगत कारणों से उन्होंने शुक्रवार को ही कार्यमुक्त होने का निर्णय लिया. सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक मामलों में भाग लिया और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण योगदान दिया.
नई शुरुआत की शुभकामनाएं
मुख्य न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी को उनके आगे के जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं और विश्वास जताया कि वे भविष्य में भी समाज के हित में कार्य करती रहेंगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायमूर्ति त्रिवेदी को उचित सम्मान नहीं मिलना एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और इससे न्यायपालिका की गरिमा प्रभावित होती है.


