जस्टिस एन.वी. अंजारिया, जस्टिस विजय बिश्नोई और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर... सुप्रीम कोर्ट को मिले तीन नए जज, जानें कितनी हुई संख्या
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को तीन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, जिससे शीर्ष अदालत में खाली पड़े पदों को भर दिया गया. कर्नाटक, गुवाहाटी और बॉम्बे हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीशों—एन.वी. अंजारिया, विजय बिश्नोई और ए.एस. चंदुरकर को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया. यह नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद की गई हैं. इन नियुक्तियों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे में मदद मिलेगी.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में गुरुवार को तीन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई, जिससे शीर्ष अदालत में लंबे समय से रिक्त चल रहे पदों को भरा गया है. राष्ट्रपति द्वारा की गई यह नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के आधार पर की गई हैं, जिसमें संबंधित न्यायाधीशों के अनुभव और योग्यता को ध्यान में रखते हुए उन्हें शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया.
तीन हाई कोर्ट के वरिष्ठ जजों को मिली जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट में जिन तीन नए जजों की नियुक्ति हुई है, उनमें कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. अंजारिया, गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विजय बिश्नोई और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज जस्टिस ए.एस. चंदुरकर शामिल हैं. इन सभी न्यायाधीशों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत प्रदत्त अधिकारों के अंतर्गत, भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया गया.
कॉलेजियम की सिफारिश का सम्मान
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन तीन न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी. कॉलेजियम द्वारा यह निर्णय उनकी न्यायिक सेवा में दीर्घकालिक योगदान, कुशल न्यायिक क्षमता और निष्पक्ष दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए लिया गया. न्यायिक प्रणाली में संतुलन बनाए रखने और लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
रिक्त पदों को भरने का प्रयास
इन नियुक्तियों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में तीन रिक्त पदों को भरा गया है, जो न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की सेवानिवृत्ति के कारण खाली हुए थे. इन रिक्तियों को शीघ्र भरना आवश्यक था, ताकि शीर्ष अदालत में न्यायिक कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट न आए और न्याय प्रक्रिया को गति मिल सके.


