बांग्लादेश की डूब रही नैया... यूनुस के राज में 'ग्रामीण परिवार' को मिल रही सरकारी मेहरबानी
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया प्रो. मुहम्मद यूनुस पर ग्रामीण समूह को लाभ पहुंचाने और भाई-भतीजावाद के आरोप लग रहे हैं. आर्थिक मंदी से जूझते देश में यूनुस की नीतियां ट्रंप जैसी कार्यशैली की झलक दे रही हैं.

ढाका की सत्ता में जब से नोबेल विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में अंतरिम सरकार बनी है, तब से ‘ग्रामीण परिवार’ के संगठनों को एक के बाद एक खास रियायतें और मंजूरियां मिलने लगी हैं. चाहे ग्रामीण बैंक की टैक्स छूट हो या ग्रामीण यूनिवर्सिटी की स्थापना की मंजूरी- हर फैसले पर अब सवाल उठ रहे है.
यूनुस की अंतरिम सरकार के फैसलों ने जहां एक ओर ग्रामीण समूह की व्यावसायिक तरक्की का रास्ता खोला है, वहीं दूसरी ओर हितों के टकराव, भाई-भतीजावाद और पारदर्शिता की कमी के गंभीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं. एक ओर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 5 साल के न्यूनतम स्तर पर है, दूसरी ओर ग्रामीण समूह फलफूल रहा है.
ग्रामीण संगठनों को रियायतों की लिस्ट
अगस्त 2024 में जब से प्रो. यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार सत्ता में आई है, तभी से उनके ग्रामीण परिवार से जुड़े कई संगठनों को सरकार से अहम अनुमति और टैक्स छूट मिल चुकी है. इन फैसलों में शामिल हैं:-
ग्रामीण यूनिवर्सिटी की स्थापना की मंजूरी (17 मार्च को)
ग्रामीण एम्प्लॉयमेंट सर्विसेज को मानव संसाधन निर्यात का लाइसेंस
ग्रामीण टेलिकॉम को मोबाइल वॉलेट सेवा शुरू करने की अनुमति
ग्रामीण बैंक की टैक्स छूट की बहाली (2029 तक)
ग्रामीण बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 25% से घटाकर 10%
हालांकि ये सभी अनुमतियां कानूनी रूप से सही है, लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि क्या ये फैसले नैतिकता और निष्पक्ष शासन के सिद्धांतों का पालन करते हैं?
हितों के टकराव पर बवाल
ढाका आधारित अखबार New Age ने एक संपादकीय प्रकाशित किया. जिसमें कहा गया कि जब प्रो. यूनुस को जनता के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, तब उन्हीं के संगठनों को मिली सरकारी मंजूरियों से टकराव की स्थिति बन गई है.
बांग्लादेश का निजी निवेश पिछले 5 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है. FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) भी जनवरी में 6 साल के निचले स्तर पर था. बेरोजगारी, ऊर्जा संकट और मुद्रा मूल्य में गिरावट से पहले से ही त्रस्त अर्थव्यवस्था के बीच ग्रामीण समूह की वृद्धि पर सवाल उठ रहे हैं.
आलोचना के घेरे में नियुक्तियां और फैसले
यूनुस सरकार द्वारा की गई कुछ नियुक्तियां भी विवादों में हैं:-
अपुर्व जहांगिर, प्रो. यूनुस के भतीजे को डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया गया, जिनके पास सार्वजनिक संचार का कोई अनुभव नहीं है.
नूरजहां बेगम, ग्रामीण बैंक की पूर्व कार्यवाहक प्रबंध निदेशक को स्वास्थ्य सलाहकार बनाया गया, लेकिन विभाग में उनकी सक्रियता नगण्य बताई जा रही है.
क्या ट्रंप की राह पर यूनुस?
राजनीतिक विश्लेषक अब प्रो. यूनुस की तुलना डोनाल्ड ट्रंप से करने लगे है. निजी व्यवसाय और सत्ता का मेल, परिवारवाद और राजनीतिक नैतिकता की अनदेखी. यूनुस गरीब बांग्लादेश के ट्रंप साबित हो रहे हैं, ये तंज सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है.


