Kishtwar Cloudburst: मलबे से निकलते शव, हर ओर पसरा तबाही का मंजर...रोते-बिलखते अपनों को ढूंढ रहे परिजन
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिसोती गांव में बादल फटने से भारी तबाही हुई, अब तक 60 से अधिक मौतें, 100 घायल और 70 लापता. सेना, एनडीआरएफ और वायुसेना राहत-बचाव में जुटी, मचैल माता यात्रा स्थगित, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने हालात का जायजा लिया.

Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के चिसोती गांव में शनिवार को तीसरे दिन भी राहत और बचाव कार्य जारी रहा. 14 अगस्त को दोपहर लगभग 12:25 बजे आए बादल फटने की घटना ने गांव और आसपास के इलाकों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया. इस आपदा में अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, 100 से ज्यादा घायल हैं और 70 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं.
बचाव अभियान में जुटी सेना और एनडीआरएफ
स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्य के लिए दर्जनभर अर्थमूवर तैनात किए हैं. साथ ही एनडीआरएफ की विशेष टीम और डॉग स्क्वॉड भी लगातार खोजबीन में जुटे हैं. भारतीय वायुसेना ने भी जम्मू और उधमपुर से दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर तथा एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रखा है ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत राहत सामग्री पहुंचाई जा सके.
मौत का आंकड़ा
अभी तक 46 शवों की पहचान की जा चुकी है और कानूनी औपचारिकताओं के बाद उन्हें परिवारों को सौंप दिया गया. इनमें से कई शवों का अंतिम संस्कार किश्तवाड़, जम्मू, उधमपुर और डोडा में पहले ही किया जा चुका है. मृतकों में दो सीआईएसएफ जवान और पुलिस का एक एसपीओ भी शामिल हैं.
बर्बादी का मंजर
अचानक आई बाढ़ ने अस्थायी बाजार, सामुदायिक रसोईघर, सुरक्षा चौकी, 16 मकान, सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पनचक्कियां, एक 30 मीटर लंबा पुल और दर्जनों वाहन बहा दिए. वीडियो फुटेज में कीचड़, गाद और पत्थरों का सैलाब खड़ी ढलानों से उतरते हुए दिखाई दिया जिसने पूरे परिदृश्य को मलबे के ढेर में बदल दिया.
नेताओं का दौरा
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चिसोती गांव का दौरा कर हालात का जायज़ा लिया. सेना ने उन्हें वर्चुअल रियलिटी हेडसेट के ज़रिए नुकसान का आकलन दिखाया. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने डीजीपी नलिन प्रभात के साथ राहत कार्यों की समीक्षा की. राज्य के मंत्री सतीश शर्मा ने पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात कर संवेदना प्रकट की और उन्हें सरकारी सहायता का भरोसा दिलाया.
मचैल माता यात्रा पर असर
बादल फटने की इस आपदा ने प्रसिद्ध मचैल माता यात्रा को भी प्रभावित किया. यह यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलती है, लेकिन हादसे के बाद तीसरे दिन भी स्थगित रही. लगभग 15,000 श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे, जिनमें से करीब 4,000 को सुरक्षित निकाला जा चुका है. बाकी श्रद्धालुओं को सेना द्वारा बनाए गए अस्थायी पुल और बेली ब्रिज के ज़रिए बाहर निकाला जा रहा है.
हालात पर स्थानीय नेताओं की चिंता
भाजपा विधायक और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा कि मलबे में अब भी सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है. उन्होंने चेतावनी दी कि असली मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता है क्योंकि कई शव अब भी पत्थरों और लकड़ियों के ढेर के नीचे दबे हैं.


