ब्लैकमेल और फिर लड़कियों के साथ जबरन दुष्कर्म...भोपाल से सामने आया अजमेर सेक्स कांड जैसा मामला, बेहद खौफनाक है कहानी
इस हफ्ते की शुरुआत में पुलिस ने मामले में तीन एफआईआर दर्ज कीं, जिसमें आरोपियों पर बलात्कार, अपहरण, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और पोक्सो अधिनियम से संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए. पूछताछ के दौरान, फरहान ने कहा कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, भोपाल में आरोपियों के समूह ने इंदौर में भी महिलाओं को निशाना बनाया है.

कॉलेज की छात्राओं का यौन उत्पीड़न, करतूतों की वीडियो रिकॉर्डिंग, पीड़ितों को नशीला पदार्थ देना, ब्लैकमेल करना और धर्म परिवर्तन...भोपाल से सामने आ रहे खौफनाक विवरण 1992 के अजमेर सेक्स कांड से काफी मिलते-जुलते हैं, जिसने 100 से अधिक युवा स्कूली छात्राओं को प्रभावित किया था और परिवारों को उजड़ने पर मजबूर कर दिया था.
भोपाल यौन उत्पीड़न मामला क्या है?
आरोपी व्यक्ति फरहान खान नामक व्यक्ति के नेतृत्व वाले एक गिरोह का हिस्सा थे, जो कॉलेज की लड़कियों को अपना शिकार बनाता था. गिरोह के काम करने का तरीका तब सामने आया, जब भोपाल के एक कॉलेज में बीटेक कर रही दो बहनों ने पुलिस से अपने साथ हुई दर्दनाक घटना के बारे में बताया. लड़की की बड़ी बहन के साथ 2022 में जहांगीराबाद के एक घर में बलात्कार किया गया था. बाद में छोटी बहन को धमकाकर उसका यौन शोषण किया गया और दोनों पर शादी और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला गया, उनके विरोध करने पर उन्हें बदनाम करने की और धमकियां दी गईं.
लड़कियों को दी जाती थी नशे की दवाई
इसके अलावा फरहान ने छोटी बहन को अपने साथी आदिल खान से मिलवाया, जिसने उसके साथ छेड़छाड़ की और उसका बलात्कार किया. घटना के वीडियो का इस्तेमाल ब्लैकमेल और यौन उत्पीड़न के लिए किया गया, जो अक्सर लड़की के नशे में होने पर जबरदस्ती किया जाता था. फरहान के फोन पुलिस को दोनों बहनों के कई अश्लील वीडियो मिले हैं. फरहान के फोन पर मिले वीडियो से भयानक विवरण सामने आए, जिसमें एक पीड़िता को सिगरेट से जलाना भी शामिल है.
कई लड़कियों का किया ब्रेनवॉश
पुलिस ने कहा कि फरहान ने अपने फोन पर वीडियो को खास फोल्डर में सेव किया है और उनका मानना है कि उसने कई पीड़ितों का ब्रेनवॉश किया गया था ताकि वे धार्मिक कपड़े पहनें और व्रत रखें. कुछ पीड़ितों ने आरोप लगाया कि चलती गाड़ियों के अंदर हथियारों के बल पर उनका बलात्कार किया गया, जबकि अन्य ने दावा किया कि प्रतिरोध को खत्म करने के लिए उन्हें नशीला पदार्थ दिया गया.
कॉलेज की लड़ियों होतीं थी निशाने पर
एमपी के पन्ना जिले का रहने वाला एक और मुख्य आरोपी साहिल खान भोपाल आया, यहां उसने डांस क्लासेस शुरू की. कॉलेज के पहले साल में पढ़ाई छोड़ने वाला यह शख्स पर गरीब लड़कियों को निशाना बनाता था जो पढ़ाई के लिए गांवों से शहर आई थीं. उन्हें लाउंज और पब में ले जाने के बाद, वह लड़कियों को किराए के कमरे में ले जाता था, जहां उसका पहला शिकार बैतूल की एक लड़की थी. उसके कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर उसने उसका यौन शोषण किया और चुपके से इस कृत्य को फिल्माया. फिर साहिल ने वीडियो का इस्तेमाल बार-बार यौन शोषण करने के लिए किया, जिसमें कभी-कभी फरहान भी शामिल होता था. साहिल द्वारा कथित हमले का कोई वीडियो उसके फोन पर नहीं मिला, जिसे फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है.
अन्य आरोपियों में अली खान शामिल है, जिसने एक कॉलेज छात्रा के साथ बलात्कार किया और इस घटना को रिकॉर्ड भी किया, साद नामक एक मैकेनिक 500-700 रुपये प्रति ट्रिप के हिसाब से लड़कियों को लाने-ले जाने का काम करता था. अबरार और नबील भी आरोपी हैं.
इस हफ्ते की शुरुआत में पुलिस ने मामले में तीन एफआईआर दर्ज कीं, जिसमें आरोपियों पर बलात्कार, अपहरण, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम और पोक्सो अधिनियम से संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए. पूछताछ के दौरान, फरहान ने कहा कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, भोपाल में आरोपियों के समूह ने इंदौर में भी महिलाओं को निशाना बनाया है. फरहान, साहिल और साद को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि अली, अबरार और नबील फरार हैं.
1992 में अजमेर में क्या हुआ था?
1992 के अजमेर मामले में 32 साल बाद एक POCSO अदालत ने छह लोगों को 100 से ज्यादा स्कूली लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इससे पहले इसी मामले में नौ अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी और चार को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. आरोपियों में अजमेर शरीफ़ दरगाह से जुड़े प्रभावशाली चिश्ती जोड़ी फ़ारूक और नफ़ीस और उनके सहयोगी शामिल थे. एक स्थानीय फ़ोटो लैब ने पीड़ितों की नग्न तस्वीरें छापीं और उन्हें प्रसारित किया. जब यह मामला सामने आया, तो अजमेर में धार्मिक तनाव भड़क गया, जिसके कारण पूरे शहर में बंद हो गया. 30 से अधिक वर्षों तक अदालत में लगातार समन अक्सर पुलिसकर्मियों का उनके दरवाजे पर पहुंचना, पीड़ितों के लिए दर्दनाक याद बन गया. 2023 में इस मामले पर अजमेर 92 नाम से एक हिंदी फिल्म बनाई गई थी.