लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में भीषण हिमस्खलन, 3 जवान शहीद...रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में एक भीषण हिमस्खलन की चपेट में आने से सेना के तीन जवान शहीद हो गए. यह हादसा ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्र में हुआ, जहां मौसम की स्थिति बेहद खराब थी. बचाव अभियान तुरंत शुरू किया गया, लेकिन भारी बर्फबारी के चलते रेस्क्यू कार्य में कठिनाई आ रही है. सेना अन्य जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी हुई है.

Siachen Avalanche 2025 : लद्दाख के सियाचिन बेस कैंप में मंगलवार को एक भीषण हिमस्खलन ने भारतीय सेना को बड़ा झटका दिया. इस हादसे में तीन सैनिकों की मौत हो गई, जिनमें दो अग्निवीर भी शामिल हैं. घटना के समय ये सभी सैनिक लगभग पांच घंटे तक बर्फ में दबे रहे. जबकि एक सेना के कप्तान को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र बना मौत का मैदान
महार रेजिमेंट के थे शहीद जवान, तीन राज्यों से थे संबंध
हादसे में जान गंवाने वाले तीनों सैनिक महार रेजिमेंट से थे और वे गुजरात, उत्तर प्रदेश और झारखंड से ताल्लुक रखते थे. इनकी शहादत ने न सिर्फ भारतीय सेना को, बल्कि उनके परिवारों और राज्यों को भी गहरे शोक में डाल दिया है.
पिछली घटनाओं से सीख, लेकिन खतरा अब भी बरकरार
यह पहली बार नहीं है जब सियाचिन में इस तरह की दर्दनाक घटना हुई हो. वर्ष 2021 में उप-क्षेत्र हनीफ में एक हिमस्खलन में दो सैनिक शहीद हुए थे. इसके अलावा, 2019 में एक बड़े हिमस्खलन ने चार सैनिकों और दो पोर्टर्स की जान ले ली थी. वे सभी 18,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे थे. सबसे बड़ी त्रासदी 2022 में सामने आई थी जब अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में सात सैनिक एक हिमस्खलन में मारे गए थे. इस हादसे की भयावहता इतनी थी कि सैनिकों के शव तीन दिन बाद मिले थे.
रक्षा तैयारियों में सुधार, लेकिन चुनौतियां बरकरार
2022 में भारतीय सेना ने पहली बार स्वीडन की एक कंपनी से 20 एडवांस्ड हिमस्खलन रेस्क्यू सिस्टम मंगवाए थे. यह उपकरण लंबे समय से सेना की जरूरत रहे हैं, खासकर कश्मीर और पूर्वोत्तर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बना रहता है. हालांकि इन उपकरणों के बावजूद सियाचिन जैसी विषम परिस्थितियों में हर मिशन चुनौतीपूर्ण बना रहता है.


