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लिंचिंग को लेकर महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान, सरकार की नीतियों पर सवाल

अनंतनाग में एक कार्यक्रम के दौरान महबूबा मुफ्ती ने बढ़ती भीड़ हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा कि गांधी-नेहरू का भारत अब डर और असहिष्णुता के माहौल में बदलता जा रहा है. उन्होंने इसे लोकतंत्र और समाज के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बताया.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने देश की मौजूदा परिस्थितियों को लेकर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के मूल्यों पर आधारित भारत में अब एक चिंताजनक बदलाव देखने को मिल रहा है. उनके अनुसार, देश का सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो रहा है और यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है.

महबूबा ने किया भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं का जिक्र 

महबूबा मुफ्ती ने भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जिस भारत की कल्पना गांधी और नेहरू ने की थी, वह आज अपने मूल रास्ते से भटकता नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रही लिंचिंग की घटनाएं केवल कानून व्यवस्था की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह समाज में बढ़ते डर और असहिष्णुता को भी उजागर करती हैं. उनके शब्दों में, यह बदलाव लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए खतरनाक संकेत है.

कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि आम नागरिकों के मन में असुरक्षा की भावना लगातार गहराती जा रही है. उन्होंने चिंता जताई कि लोग अपनी पहचान, विचार और विश्वास के कारण भय के साए में जीने को मजबूर हो रहे हैं. उनके मुताबिक, यह माहौल न केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि देश के भविष्य को भी अनिश्चित बना रहा है.

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि किसी भी सभ्य और लोकतांत्रिक समाज में भीड़ द्वारा हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. ऐसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या हम वास्तव में उन संवैधानिक मूल्यों का पालन कर रहे हैं, जिन पर देश की नींव रखी गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि जब कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति बढ़ती है, तो इससे न्याय व्यवस्था और लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता कमजोर होती है.

सरकार की जिम्मेदारियों पर बोले पीडीपी प्रमुख 

पीडीपी प्रमुख ने सरकार की जिम्मेदारियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि नागरिकों की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा करना किसी भी शासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भय और नफरत का यह वातावरण समय रहते नहीं रोका गया, तो इसका असर समाज की अगली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा. बच्चों और युवाओं के मन में असहिष्णुता का बीज पड़ना देश के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है.

अपने बयान के अंत में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि देश को एक बार फिर आत्ममंथन करने की जरूरत है. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और समाज के जिम्मेदार वर्गों से अपील की कि वे मिलकर ऐसे माहौल के खिलाफ आवाज उठाएं और भारत को उसके मूल लोकतांत्रिक और मानवीय मूल्यों की ओर वापस ले जाने का प्रयास करें.

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