नीट छात्रा की मौत पर लापरवाही: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान पुलिस से किया जवाब-तलब
राज्य सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि कोटा पुलिस ने पहले ही मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है तथा मामले में तुरंत एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.

राजस्थान के कोटा में एक 17 वर्षीय नीट छात्रा की आत्महत्या के मामले में एफआईआर दर्ज न करने को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोटा पुलिस को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने आत्महत्या जैसे गंभीर मामलों में पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए इसे शीर्ष प्रशासनिक स्तर पर उठाने का निर्देश दिया.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आत्महत्या के मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है. कोर्ट ने पूछा कि अमीर कुमार केस के फैसले के बावजूद केवल जांच दर्ज क्यों की गई, जबकि स्पष्ट रूप से एफआईआर अनिवार्य थी.
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
राजस्थान सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को जानकारी दी कि पुलिस ने अब मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है. उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने कोचिंग छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लेते हुए पहले ही विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है.
कोटा में आत्महत्या का 14वां मामला
कोटा शहर में इस वर्ष आत्महत्या का यह 14वां मामला था. मृतक छात्रा मध्य प्रदेश के श्योपुर की रहने वाली थी और कोटा में अपने माता-पिता व छोटे भाई के साथ रह रही थी. वह एक प्रमुख कोचिंग संस्थान से नीट की तैयारी कर रही थी और अगले दिन उसकी परीक्षा थी.
पुलिस के अनुसार, छात्रा घर की दूसरी मंजिल पर पढ़ाई कर रही थी, जबकि परिवार के बाकी सदस्य नीचे थे. रात करीब 10 बजे पिता ने जब बेटी को देखा, तो वह फंदे से लटकी मिली. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.
एफआईआर क्यों नहीं हुई?
कुनाडी थाने के एसएचओ अरविंद भारद्वाज ने कहा कि आमतौर पर ऐसे मामलों में बीएनएसएस की धारा 194 के तहत शिकायत दर्ज की जाती है, लेकिन एफआईआर नहीं हुई क्योंकि परिवार ने इसके लिए दबाव नहीं डाला.
सुप्रीम कोर्ट की पहल
6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और पश्चिम बंगाल पुलिस से पूछा था कि क्या कोटा व आईआईटी खड़गपुर में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. कोर्ट ने संकेत दिया कि ऐसे संवेदनशील मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यह प्रशासनिक जवाबदेही का विषय है.


