खरमास से पहले भाजपा ने खेला बड़ा दांव! यूपी-बिहार में इन जातियों को सौंप दी कमान, विपक्ष में हड़कंप!
भाजपा ने लगातार तीन बड़े संगठनात्मक फैसले लिए हैं. वह अपने कोर सपोर्टर को साधने में लगी हुई है. कुर्मी समाज से लेकर कायस्थ और मारवाड़ी को बड़ी जिम्मेदारी दी है.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हाल ही में तीन बड़े संगठनात्मक फैसले लिए हैं. ये फैसले उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी लिए गए. इससे पार्टी अपने पुराने और पक्के समर्थकों को खुश करने की कोशिश कर रही है. खरमास शुरू होने से पहले ये बदलाव पार्टी की रणनीति का हिस्सा लगते हैं.
कुर्मी समाज को यूपी में सम्मान
उत्तर प्रदेश में पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. बता दें, पंकज चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं. यह फैसला कुर्मी वोटरों को मजबूत करने के लिए है. यूपी में कुर्मी एक प्रभावशाली ओबीसी जाति है. इससे पार्टी ओबीसी के साथ-साथ अपने कोर आधार को भी संतुलित कर रही है.
कायस्थ और मारवाड़ी को बिहार में बड़ी जिम्मेदारी
बिहार में दो बड़े बदलाव हुए. पहले नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. नितिन कायस्थ समाज से हैं और सिर्फ 45 साल के युवा नेता हैं. बिहार में कायस्थों की आबादी कम है, लेकिन वे भाजपा के मजबूत समर्थक माने जाते हैं.
दूसरा संजय सरावगी को बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. संजय मारवाड़ी समुदाय से हैं. उनकी भी बिहार में संख्या कम है, लेकिन व्यापारी वर्ग में भाजपा का अच्छा आधार है.इन दोनों फैसलों से अगड़े और व्यापारी वर्ग को बड़ा संदेश गया है.
जातीय ध्रुवीकरण से बचने की रणनीति
भाजपा की यह कोशिश है कि बिहार जैसे राज्य में जातीय टकराव न हो. यहां ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, यादव जैसी जातियां ध्रुवीकरण करती रही हैं. इसलिए पार्टी ने ऐसे समुदायों के नेताओं को चुना, जिनसे बड़ा ध्रुवीकरण नहीं होता. ये नेता मृदु भाषी और सभी तक पहुंच वाले हैं. यह भी पीएम मोदी की युवा, महिला, किसान और गरीब वाली सोच से जुड़ा है.
नितिन नबीन जैसे युवा से नई पीढ़ी को जोड़ने का प्लान है. इससे विपक्ष के जातीय गोलबंदी के आरोपों की काट भी हो रही है. ये फैसले आने वाले चुनावों में कितना असर डालेंगे, यह समय बताएगा. लेकिन भाजपा अपने कोर वोटरों को मजबूत करने में जुटी है.


