शेल्टर नहीं, नसबंदी जरूरी... सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों पर बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जो पशु कल्याण और जन सुरक्षा को संतुलित करता है. केवल बीमार और आक्रामक कुत्तों को शेल्टर में रखा जाएगा, बाकियों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद छोड़ा जाएगा.

Stray Dogs Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के प्रबंधन को लेकर एक ऐतिहासिक और संतुलित फैसला सुनाया है, जो पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित करता है. कोर्ट ने अपने 11 अगस्त 2025 के आदेश में संशोधन करते हुए ह साफ कर दिया है कि सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने की बजाय, केवल बीमार और आक्रामक कुत्तों को ही वहां रखा जाएगा, जबकि बाकी को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उनके मूल स्थान पर छोड़ दिया जाएगा. यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने सुनाया, जिसने न केवल सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया, बल्कि आवारा कुत्तों के लिए विशेष फीडिंग जोन और हेल्पलाइन की स्थापना जैसे ठोस कदमों का भी निर्देश दिया.
शेल्टर होम नीति में बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने यह आदेश दिया कि शेल्टर होम भेजे गए कुत्ते छोड़ दिए जाएंगे. सिर्फ बीमार और आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा. नसबंदी और टीकाकरण के बाद स्वस्थ कुत्तों को उनके मूल क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाएगा, ताकि वे सामुदायिक जीवन का हिस्सा बने रहें.
फीडिंग जोन और सार्वजनिक स्थानों पर प्रतिबंध
कोर्ट ने आवारा कुत्तों को भोजन देने के लिए हर ब्लॉक और वार्ड में विशेष फीडिंग जोन बनाने का आदेश दिया है. सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक है. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन शुरू की जाएगी. इसके लिए एनजीओ को 25,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी, जो फीडिंग जोन के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने में उपयोग होगी.
गोद लेने की प्रक्रिया और जिम्मेदारी
पशु प्रेमियों के लिए राहत भरी खबर यह है कि वे आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये जिम्मेदारी उनकी होगी कि एक बार गोद लिए गए कुत्तों को दोबारा सड़कों पर नहीं छोड़ा होगा. यह कदम कुत्तों को सुरक्षित और स्थायी घर प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण है. हालांकि इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर करने वाले व्यक्तियों को 25,000 रुपये और एनजीओ को 2 लाख रुपये जमा करने होंगे, जो कुत्तों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में इस्तेमाल होंगे.
राज्यों को नोटिस और संतुलित आदेश
जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर इस मामले में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की है. वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह बेहद संतुलित ऑर्डर है. कोर्ट ने सभी राज्यों को इस केस में शामिल कर लिया है. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि देशभर की अदालतों में आवारा कुत्तों से संबंधित सभी लंबित मामले अब एक ही केस में समाहित किए जाएंगे.


