10 मई को भारतीय वायुसेना ने चार मिसाइल हमले कर पाकिस्तान में मचाई तबाही, कैसे घुटने टेकने पर मजूबर हुआ आतंकिस्तान?
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया और पाकिस्तान के जवाबी हमले को महज 8 घंटे में नाकाम किया. भारतीय वायुसेना ने सटीक मिसाइलों से पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों को ध्वस्त किया, जिसमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की अहम भूमिका रही. चीन के हथियार भी हमलों में असफल रहे. नौसेना ने समुद्री मोर्चे पर भी मजबूती दिखाई. अंततः पाकिस्तान ने नो-फायर समझौते की मांग की.

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के बाद एक नई सैन्य और राजनीतिक दिशा देखी गई है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी नेटवर्क को निशाना बनाया. यह अभियान भारतीय सशस्त्र बलों की सटीक रणनीति और तकनीकी श्रेष्ठता का उदाहरण बनकर उभरा.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत का पलटवार
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत के बाद पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाते हुए “ऑपरेशन बनयान अल-मर्सूस” शुरू किया, जिसमें भारतीय वायुसेना पर अगले 48 घंटों में हमले की धमकी दी गई. यह ऑपरेशन 10 मई को रात 1 बजे शुरू हुआ था. लेकिन भारतीय सेना ने इस योजना को महज 8 घंटों में ध्वस्त कर दिया.
भारतीय वायुसेना के हमलों ने पाकिस्तान को झकझोरा
भारतीय वायुसेना ने 10 मई को कम से कम चार बार पाकिस्तान के भीतर सटीक मिसाइल हमले किए. इन हमलों में राफेल विमानों से दागी गई SCALP क्रूज़ मिसाइलें और SU-30 MKI से छोड़ी गई ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें शामिल थीं. इस ऑपरेशन में चकलाला स्थित नूर खान एयरबेस पर पाकिस्तान की उत्तरी वायु कमान का नियंत्रण नेटवर्क पहले ही हमले में नष्ट हो गया.
बाद के हमलों में जैकोबाबाद और भोलारी एयरबेस को निशाना बनाया गया. रिपोर्ट्स बताती हैं कि ये हमले इतने प्रभावशाली रहे कि पाकिस्तान को अमेरिका से राजनयिक स्तर पर हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी.
एस-400 की भूमिका: गेम चेंजर साबित हुआ
इस अभियान में भारत की आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली S-400 ट्रायम्फ भी अहम भूमिका में रही. आदमपुर वायुसेना अड्डे पर तैनात S-400 ने करीब 11 बार कार्रवाई करते हुए 300 किलोमीटर भीतर तक जाकर एक पाकिस्तानी SAAB-2000 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया. भारतीय वायुसेना के पास इस बात के प्रमाण भी हैं कि उन्होंने पाकिस्तान के एक C-130J विमान, एक JF-17, और दो F-16 लड़ाकू विमानों को मार गिराया.
चीनी हथियारों की विफलता ने पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ाईं
भारत के हमलों ने न केवल पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को नुकसान पहुँचाया, बल्कि उसके विदेशी हथियारों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए. लाहौर में किए गए एक ड्रोन हमले में पाकिस्तान की चीन निर्मित LY-80 एयर डिफेंस सिस्टम तबाह हो गई. वहीं, कराची में मौजूद HQ-9 प्रणाली, जिसे चीन के S-300 समकक्ष के रूप में प्रचारित किया गया था, वह भी भारतीय मिसाइल हमलों में नष्ट हो गई.
समुद्री मोर्चे पर भी भारत की मजबूती
भारतीय नौसेना ने भी पूरी तत्परता दिखाई. मकरन तट से लगभग 260 मील दूर भारतीय नौसैनिक पोतों को तैनात किया गया था. भारत की ओर से बंदरगाहों पर हमला किए जाने की स्थिति में पाकिस्तान ने DGMO स्तर पर जवाबी कार्रवाई की धमकी दी, लेकिन भारत के सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व ने इस पर कोई दबाव नहीं लिया. 10 मई तक पाकिस्तान खुद ही नो-फायर समझौते की मांग करने लगा.


