RSS प्रमुख मोहन भागवत का गुवाहाटी में बड़ा बयान... कहा— मातृभाषा में हो हर काम, विदेशी भाषा से बचें
गुवाहाटी में मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपनी मातृभाषा में ही बात करनी चाहिए और विदेशी भाषाओं से बचना चाहिए. उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं से समाज में जाति, पंथ, और भाषा से परे एकता बढ़ाने की अपील की. साथ ही पर्यावरण की रक्षा और पारंपरिक मानदंडों के पालन पर भी जोर दिया. क्या इस संदेश को समाज तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी नहीं है? जानें पूरी खबर में मोहन भागवत के विचारों का गहरा संदेश.

Mohan Bhagwat Powerful Message: गुवाहाटी में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि हर भारतीय को अपनी मातृभाषा का प्रयोग करना चाहिए, चाहे वह खाना हो, यात्रा हो, या अपनी अभिव्यक्ति. भागवत का कहना था कि हमें विदेशी भाषाओं से बचना चाहिए और अपने दैनिक कार्यों में अपनी मातृभाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
संघ के कार्यकर्ताओं से अपील
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में संघ के सभी स्वयंसेवकों से जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा से परे एकजुट होकर काम करने की अपील की. उनका कहना था कि यह जरूरी है कि हम समाज के विभिन्न वर्गों के बीच मैत्री बढ़ाएं और एक दूसरे का सम्मान करें. उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को देश में एकता और सामूहिकता का माहौल बनाना चाहिए, ताकि हम एक साथ आगे बढ़ सकें.
जाति और भाषा से परे एकता की बात
भागवत ने यह भी कहा कि हिंदू समाज को एकजुट रहकर समान मंदिरों, श्मशानों और जल स्रोतों का उपयोग करना चाहिए. उनके अनुसार, यह एकता और सहिष्णुता का प्रतीक होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि समाज में किसी भी जातीय या धार्मिक समूह के बीच विवादों की बजाय, हमें एक दूसरे से सम्मान और सहयोग की भावना से काम करना चाहिए.
पर्यावरण की रक्षा और पारंपरिक मानदंडों का पालन
भागवत ने अपने संबोधन में पर्यावरण संरक्षण पर भी जोर दिया. उन्होंने समाज से जल संरक्षण, वृक्षारोपण और प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने की अपील की. इसके अलावा, उन्होंने पारंपरिक सामाजिक मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता जताई, भले ही वे कानूनी रूप से अनिवार्य न हों.
गुवाहाटी में संघ की यात्रा का महत्व
भागवत के गुवाहाटी दौरे का यह हिस्सा संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित किए जा रहे विशेष दौरों का एक अहम हिस्सा था. वे संघ के सदस्यों से मुलाकात कर संगठन को मजबूत करने के लिए दिशा-निर्देश देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि संघ का काम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सके.
मोहन भागवत का यह बयान भारत में राष्ट्रीय एकता, मातृभाषा के महत्व, और पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक नया दृष्टिकोण पेश करता है. उनके शब्दों से यह साफ है कि वह देश के प्रत्येक नागरिक से अपील करते हैं कि हम एकजुट होकर समाज में सामूहिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं.
गुवाहाटी में उनके इस संबोधन ने कई मुद्दों पर विचार करने के लिए समाज को प्रेरित किया है, जो भारत की एकता और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं.


