भारत में ग्रामीण रोजगार प्रणाली में नया अध्याय, जीआरएएम जी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने रविवार को एक अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीबी-जी आरएएम जी विधेयक, 2025 को अपनी स्वीकृति दे दी है.

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने रविवार को एक अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीबी-जी आरएएम जी विधेयक, 2025 को अपनी स्वीकृति दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही देश में ग्रामीण रोजगार से जुड़े एक नए ढांचे को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है.
सरकार का क्या कहना है?
यह नया कानून अब तक लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा और ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने की तैयारी है. यह विधेयक हाल ही में संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया गया था. इसका औपचारिक नाम ‘विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक’ है. सरकार का कहना है कि इस नए कानून का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और दीर्घकालिक बनाना है, ताकि गांवों में रहने वाले लोगों की आजीविका को मजबूती मिल सके.
हालांकि, विधेयक के संसद से पारित होने के दौरान विपक्ष ने इसका तीखा विरोध किया था. विपक्षी दलों ने खासतौर पर कानून के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर आपत्ति जताई. उनका तर्क था कि मनरेगा केवल एक रोजगार योजना नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का प्रतीक रहा है और इससे महात्मा गांधी का नाम हटाना उनकी विरासत को कमजोर करने जैसा है. इसके अलावा, विपक्ष ने इस बात पर भी चिंता जताई कि नए ढांचे के तहत राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है, जिससे कई राज्य सरकारों को आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ेगा.
सरकार की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव के अनुसार, इस नए ग्रामीण रोजगार कानून के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल प्रति परिवार 125 दिनों के वेतनभोगी रोजगार की गारंटी दी जाएगी. सरकार का दावा है कि यह व्यवस्था रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति देगी. साथ ही, आजीविका से जुड़े कौशल विकास और स्थायी रोजगार के साधनों को भी इस मिशन से जोड़ा जाएगा.
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्ष ने 125 दिनों के रोजगार की गारंटी वाले इस प्रावधान पर भी सवाल उठाए. उनका कहना है कि मौजूदा मनरेगा के तहत 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी पहले से मौजूद है, लेकिन कई जगहों पर इसका सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में नया कानून लाने के बजाय मौजूदा व्यवस्था को मजबूत करना ज्यादा जरूरी था.
अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद वीबी-जी आरएएम जी विधेयक, 2025 कानून का रूप ले चुका है. आने वाले समय में इसके नियम और दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे, जिसके बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नया ग्रामीण रोजगार ढांचा जमीनी स्तर पर कितना प्रभावी साबित होता है और क्या यह वास्तव में ग्रामीण लोगों की आजीविका में सुधार ला पाता है.


