सत्ता नहीं सेवा! प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदला, नया नाम ‘सेवा तीर्थ’
देश में प्रशासनिक ढांचे को नई सोच और नई पहचान देने के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल दिया गया है. सेंट्रल विस्टा परियोजना के अंतर्गत निर्मित हो रहे नए पीएम कार्यालय को अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा.

देश में प्रशासनिक ढांचे को नई सोच और नई पहचान देने के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदल दिया गया है. सेंट्रल विस्टा परियोजना के अंतर्गत निर्मित हो रहे नए पीएम कार्यालय को अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा. यह नाम केवल एक औपचारिक बदलाव नहीं बल्कि शासन के उस नए दृष्टिकोण का प्रतीक है, जिसमें प्रशासन को सत्ता की जगह सेवा का केंद्र माना जा रहा है.
बड़े निर्णय लेने का मुख्य स्थान है प्रधानमंत्री कार्यालय
प्रधानमंत्री कार्यालय देश के लिए महत्वपूर्ण नीतियां और बड़े निर्णय लेने का मुख्य स्थान है. ऐसे में इसका नाम ‘सेवा’ की भावना से जोड़ना सरकार की प्राथमिकताओं का संकेत माना जा रहा है.
यह परिवर्तन किसी एक भवन तक सीमित नहीं है. हाल के वर्षों में कई सरकारी संरचनाओं और मार्गों के नाम बदलकर उन्हें नई वैचारिक दिशा देने की कोशिश की गई है. सूत्रों के अनुसार, सरकार देश के प्रशासनिक तंत्र के नामों को इस प्रकार रूपांतरित कर रही है कि उनमें जिम्मेदारी, कर्तव्य और जनता के हित को सर्वोपरि रखे जाने का संदेश झलके.
इसी श्रृंखला में देशभर के राजभवनों का नाम भी बदला जा रहा है. परंपरागत रूप से शक्ति और अधिकार के प्रतीक माने जाने वाले इन भवनों को अब ‘लोक भवन’ का नाम दिया जा रहा है. इसके पीछे मंशा यह है कि राजभवनों की पहचान सत्ता केन्द्र के बजाय लोकसेवा और संवैधानिक जिम्मेदारियों के रूप में स्थापित की जाए. इससे पहले प्रधानमंत्री आवास का नाम बदलकर ‘लोक कल्याण मार्ग’ किया जा चुका है, जबकि दिल्ली का ऐतिहासिक राजपथ अब ‘कर्तव्य पथ’ के नाम से जाना जाता है.
केंद्रीय सचिवालय का नाम भी बदला गया है और इसे अब ‘कर्तव्य भवन’ कहा जा रहा है. सरकार का कहना है कि इन बदलावों के जरिए यह स्पष्ट संदेश देना है कि प्रशासन का मूल उद्देश्य जनता की सेवा करना है, न कि शक्ति का प्रदर्शन. नामों में यह परिवर्तन इस व्यापक विचारधारा को दर्शाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का केंद्र सेवा, कर्तव्य और पारदर्शिता होना चाहिए.
नई कार्यसंस्कृति को दर्शाते हैं बदलते नाम
इन नाम परिवर्तनों को शासन में धीरे-धीरे आ रहे उन बदलावों के रूप में देखा जा रहा है, जिनका लक्ष्य प्रशासनिक ढांचे को आधुनिक मूल्यों और जवाबदेही से जोड़ना है. सरकार सूत्रों का मानना है कि बदलते नाम नई कार्यसंस्कृति को दर्शाते हैं जहां पद की प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि जनता के प्रति संवेदनशीलता और सेवा की भावना सर्वोच्च मानी जाए.
पीएम कार्यालय का ‘सेवा तीर्थ’ में रूपांतरण उस नई दिशा का हिस्सा है, जिसमें शासन को अधिक मानवीय, जवाबदेह और सेवा-प्रधान बनाने की कोशिश की जा रही है. यह परिवर्तन बताता है कि प्रशासनिक ढांचे में केवल ढांचागत सुधार ही नहीं, बल्कि विचार और दृष्टिकोण का भी पुनर्रचना हो रही है.


