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उम्मीद की खेप: CM मान ने दिखाई ट्रकों को हरी झंडी, बाढ़ से तबाह किसानों को मिला सहारा

पंजाब के CM भगवंत मान ने सात ट्रकों में मुफ्त गेहूं के बीज भेजे। 74 करोड़ की लागत से पहुंचे ये बीज बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए नई उम्मीद बने हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

पंजाब न्यूज. पंजाब के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब मुख्यमंत्री ने खुद ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर राहत पहुंचाने की शुरुआत की। अमृतसर से रवाना हुए सात ट्रक सिर्फ बीज नहीं बल्कि किसानों के लिए नई जिंदगी का संदेश लेकर गए। सरकार ने लगभग दो लाख क्विंटल गेहूं का बीज खरीदा जिसकी कीमत करीब 74 करोड़ रुपये है। यह बीज पूरी तरह मुफ्त बांटा जाएगा। खास बात यह है कि किसानों को इसके लिए किसी कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी, बीज सीधे उनके गांव तक पहुंचाया जाएगा।

बाढ़ से कितनी बड़ी तबाही हुई?

पंजाब में आई बाढ़ ने पांच लाख एकड़ से ज्यादा की फसल को डुबो दिया। किसानों की महीनों की मेहनत कुछ ही घंटों में बर्बाद हो गई। कई परिवार कर्ज के बोझ तले दब गए और आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे। 2,300 गांव पानी में डूब गए, 20 लाख लोग प्रभावित हुए और 56 लोगों की जान चली गई। सात लाख लोग बेघर होकर राहत शिविरों में पहुंचे। बच्चों की पढ़ाई छूट गई, बुजुर्गों को दवा तक नहीं मिली और औरतों को चूल्हा जलाने की जगह नहीं मिली।

भावुक क्यों हुए CM मान?

बीज वितरण के दौरान CM मान भावुक दिखे। उन्होंने कहा, “किसान इस देश की रीढ़ हैं। जब पूरा देश सोता है, किसान खेतों में जागता है। उसकी मेहनत से ही देश का पेट भरता है। आज जब किसान मुसीबत में हैं तो हम कैसे पीछे हट सकते हैं। यह 74 करोड़ रुपये नहीं, यह किसानों के प्रति सरकार का सम्मान है।” मान ने यह भी कहा कि हरित क्रांति का नेतृत्व करने वाले किसानों ने देश को खाद्य सुरक्षा दी, अब उनकी मदद करना सरकार का फ़र्ज़ है।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर क्या असर?

बाढ़ ने शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे को भी तोड़ दिया। 3,200 स्कूल पूरी तरह तबाह हो गए, 19 कॉलेज ढह गए और लाखों बच्चों की पढ़ाई रुक गई। 1,400 अस्पताल और क्लीनिक क्षतिग्रस्त हो गए, मरीजों को इलाज के लिए दूर-दराज़ जाना पड़ा। समय पर इलाज न मिलने से कई गंभीर मरीजों की मौत तक हो गई। यह सिर्फ इमारतों का नुकसान नहीं था बल्कि पूरे तंत्र के ढहने की तस्वीर थी।

बुनियादी ढांचे की हालत क्यों खराब हुई?

8,500 किलोमीटर सड़कें या तो बह गईं या टूट गईं। 2,500 पुल गिरने से गांवों का शहरों से संपर्क टूट गया। राशन और दवाइयां पहुंचाना नामुमकिन हो गया। बिजली के खंभे और ट्रांसफॉर्मर गिरने से हफ्तों तक लोग अंधेरे में रहे। पानी के पंप खराब होने से नलों में पानी तक नहीं आया। जिंदगी पूरी तरह से पटरी से उतर गई थी।

नुकसान कितना बड़ा माना जा रहा है?

सरकारी आकलन के मुताबिक कुल नुकसान करीब 13,800 करोड़ रुपये का है, हालांकि असली नुकसान इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। फसलों के डूबने, मवेशियों की मौत, घरों और दुकानों के ढहने से लोग पूरी तरह बर्बाद हो गए। किसानों ने कहा कि उनकी पूरी जिंदगी की कमाई एक ही रात में खत्म हो गई। जिन्होंने बैंक से कर्ज लेकर खेती की थी वे अब कर्ज़ चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार ने इसलिए तुरंत राहत पहुंचाने का फैसला लिया।

क्या किसान फिर से संभल पाएंगे?

इतिहास गवाह है कि पंजाब के लोग हर मुसीबत से उभरे हैं। चाहे बंटवारा हो, आतंकवाद का दौर हो या अब की बाढ़, पंजाबी मेहनत और हिम्मत से सब कुछ फिर से खड़ा कर लेते हैं। बाढ़ का पानी उतरते ही किसानों ने खेतों की सफाई शुरू कर दी और अब रबी की बुवाई के लिए तैयार हैं। CM मान ने कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है। किसानों को मुआवज़ा, कर्ज़ माफी और योजनाओं से हर मदद दी जाएगी। जल्द ही पंजाब के खेत फिर से हरे-भरे नजर आएंगे।”

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28 October 2025, 07:21 PM IST

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