हरियाणा में ‘वोट चोरी’ का राहुल गांधी का नैरेटिव रिकॉर्ड्स की जांच में पूरी तरह ध्वस्त
राहुल गांधी ने हरियाणा में बड़े पैमाने पर वोट चोरी के आरोप लगाए, लेकिन बूथ रिकॉर्ड, वोटर सूची और काउंटिंग रिपोर्ट में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं मिली, जिससे कांग्रेस के दावों पर गंभीर सवाल खड़े हुए।

राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोट चोरी का आरोप लगाया, लेकिन रिकॉर्ड उनकी बात का साथ नहीं देते। जिन उदाहरणों को उन्होंने सबूत बताया, वे जांच में सामान्य चुनावी प्रक्रिया निकले। कई दावे बिना पक्के प्रमाण के सामने रखे गए। इससे आरोपों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। और यही वजह है कि इस मुद्दे पर अब बहस तथ्य बनाम बयानबाज़ी पर आ गई।
बड़े दावे, कम सबूत
राहुल गांधी ने हरियाणा चुनाव में बड़े पैमाने पर वोट चोरी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव में गड़बड़ी करके नतीजे बदल दिए गए। लेकिन जब इन दावों की जांच की गई, तो रिकॉर्ड में ऐसा कहीं साबित नहीं हुआ। मीडिया, चुनाव आयोग और स्थानीय अधिकारियों के दस्तावेज़ों में कोई ठोस अनियमितता नहीं मिली। बातें ज़रूर बड़ी थीं, लेकिन प्रमाण नहीं थे। कई दावों का आधार सिर्फ़ शक और अंदाज़ा निकला। इसी कारण लोग इन आरोपों के मकसद पर सवाल उठाने लगे।
#WATCH | Lucknow | On Rahul Gandhi's allegations of "vote chori", Congress MP Pramod Tiwari says, "What Rahul Gandhi is saying is 100 per cent true. There was theft of 25 lakh votes in Haryana, so the Election Commission with the BJP is not only doing 'vote chori' but also… pic.twitter.com/C4Xi5HiHx1
— ANI (@ANI) November 10, 2025
200 नामों वाला दावा
राहुल गांधी ने कहा कि एक महिला का नाम वोटर लिस्ट में 200 बार है। इसे उन्होंने फर्जी वोटिंग का सबूत बताया। लेकिन जांच में पता चला कि उस बूथ को आबादी बढ़ने पर दो हिस्सों में बाँटा गया था। यह चुनाव आयोग की सामान्य प्रक्रिया है, जो पूरे देश में होती रहती है। हैरानी की बात यह है कि जिस सीट का उदाहरण दिया गया, वहां कांग्रेस खुद जीत कर आई। अगर वहां धांधली होती, तो क्या कांग्रेस जीत सकती थी? इसलिए यह दावा तर्क और तथ्य दोनों पर कमजोर साबित हुआ।
#WATCH | On 'vote chori' allegations by Lok Sabha LoP Rahul Gandhi, UP Deputy CM Keshav Prasad Maurya says, "Ulta chor kotwal ko daante. Rahul Gandhi & Company are trying to make Tejashwi Yadav lose. They are trying to make VIP candidates lose. But they are levelling allegations… pic.twitter.com/EH9L4y9Hkw
— ANI (@ANI) November 10, 2025
एग्ज़िट पोल की दलील
राहुल गांधी ने कहा कि एग्ज़िट पोल में कांग्रेस आगे थी, इसलिए नतीजे गलत हैं। जबकि एग्ज़िट पोल हमेशा अनुमान होते हैं, वे निश्चित नतीजे नहीं होते। खुद राहुल गांधी कई बार एग्ज़िट पोल को फालतू और बेकार बता चुके हैं। लेकिन जब कुछ एग्ज़िट पोल कांग्रेस के पक्ष में दिखे, तो उन्होंने उन्हें सही मान लिया। यह चयनित आंकड़ों का चयन कहलाता है। इस तरह की दलील भरोसा घटाती है। राजनीति में आंकड़े तभी मजबूत माने जाते हैं, जब उन्हें एक समान तरीके से अपनाया जाए।
बैलेट पेपर का भ्रम
राहुल गांधी ने कहा कि बैलेट पेपर से कांग्रेस आगे थी, लेकिन बाद में नतीजे बदल गए। जबकि बैलेट पेपर कुल वोटों का बहुत छोटा हिस्सा होते हैं, लगभग आधा प्रतिशत। शुरुआती बैलेट वोटों के आधार पर पूरे चुनाव की दिशा तय नहीं होती। कई जगहों पर बीजेपी बैलेट में आगे थी लेकिन EVM में पीछे हो गई। यह प्रक्रिया सामान्य है और पहले भी कई राज्यों में दिखाई पड़ी है। इसे धोखाधड़ी कहना भ्रामक है। इससे अनावश्यक संदेह पैदा होता है।
वीडियो काटकर पेश किया
राहुल गांधी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री का एक छोटा वीडियो दिखाया। उसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री "सारे इंतज़ाम" की बात कर रहे थे। लेकिन पूरा वीडियो देखने पर पता चला कि मुख्यमंत्री सरकार बनाने की तैयारी की बात कर रहे थे। एडिट किया हुआ वीडियो देखकर मतलब पूरी तरह बदल गया। इससे भ्रम फैल सकता था। बाद में पूरा वीडियो आने पर मामला साफ हो गया। इस घटना ने दिखाया कि आधी बात दिखाने से सच छिप सकता है।
ब्राज़ील मॉडल वाला आरोप
एक और दावा था कि वोटर कार्डों पर एक ब्राज़ील की मॉडल की तस्वीर उपयोग हुई। लेकिन उस महिला ने खुद वीडियो जारी कर कहा कि उसकी तस्वीर स्टॉक वेबसाइट से ली गई थी। उसका भारत की राजनीति से कोई संबंध नहीं था। इससे पता चलता है कि यह आरोप बिना पुष्टि किए ही लगाया गया था। चुनाव में हर वोटर की पहचान की दोहरा सत्यापन प्रक्रिया होती है। यदि यह मुद्दा गंभीर होता, तो शिकायत वोटिंग के समय दर्ज होती। बाद में शोर मचाने से सच्चाई नहीं बदलती।
जनता का भरोसा ज़रूरी
जब बड़े राजनीतिक दावे बिना प्रमाण हों, तो इससे चुनाव प्रणाली पर जनता का भरोसा कमजोर होता है। चुनाव लाखों कर्मचारियों और सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों की निगरानी में होते हैं। हर कदम पर गिनती, जांच और पुष्टि होती है। बेबुनियाद आरोप लगाने से भ्रम फैलता है और लोकतंत्र की प्रक्रिया पर असर पड़ता है। ज़िम्मेदार नेतृत्व का अर्थ है कि बयान तथ्य के साथ हों। लोकतंत्र का आधार भरोसा है, और इसे संभालना जरूरी है।


