बलात्कार के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना को जेल में मिली नौकरी, इतने रुपये होगी दिहाड़ी... जानिए क्या करेंगे काम
रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे प्रज्वल रेवन्ना को बेंगलुरु जेल में लाइब्रेरी क्लर्क के तौर पर काम मिल गया है. वह कैदियों को किताबें जारी करेंगे और उनका रिकॉर्ड रखेंगे. रेवन्ना को घरेलू सहायिका से रेप के आरोप में सजा दी गई थी, और कोर्ट ने उन्हें 11 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया था. उनका यह मामला राजनीति और कानून में भी चर्चा का विषय बन चुका है.

Pragwal Revanna jail Clerk Job : रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को जेल में काम मिल गया है. वह अब बेंगलुरु की जेल में लाइब्रेरी में क्लर्क के रूप में काम करेंगे. जेल प्रशासन के मुताबिक, उनकी जिम्मेदारी होगी कि वह कैदियों को किताबें जारी करें और उधार ली गई किताबों का रिकॉर्ड रखें. इस काम के बदले उन्हें प्रति दिन 522 रुपये का मेहनताना मिलेगा.
काम के लिए प्रशासन से जताई थी इच्छा
घरेलू सहायिका के साथ दो बार रेप
प्रज्वल रेवन्ना को एक घरेलू सहायिका के साथ दो बार रेप करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता ने अदालत में एक साड़ी पेश की, जिसपर रेवन्ना के स्पर्म के निशान थे. जांच सीआईडी की विशेष टीम द्वारा की गई थी और करीब 2,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी. सात महीने के ट्रायल के बाद अदालत ने रेवन्ना को दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई. अदालत ने साथ ही 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया, जिसे पीड़िता को मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया गया था.
उम्रकैद के साथ 11 लाख का जुर्माना
इस मामले के बाद, रेवन्ना को जनता दल (सेक्युलर) से सस्पेंड कर दिया गया था. अदालत ने सजा सुनाते हुए यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में कानून से ऊपर कोई सत्ता या राजनीतिक दबाव नहीं हो सकते. अदालत का यह आदेश राजनीति और कानून के संबंध में महत्वपूर्ण संदेश देता है, जिससे यह साबित होता है कि न्याय के सामने किसी का भी दबाव काम नहीं करता.
कुल मिलाकर, प्रज्वल रेवन्ना की सजा और उनके द्वारा किए गए अपराध ने न केवल उनकी व्यक्तिगत जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि इसने राजनीति और कानून में भी सवाल उठाए. जेल में उनका काम भी एक तरह से उनके जीवन में बदलाव की ओर एक कदम हो सकता है, लेकिन उनके द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता को देखते हुए सजा और जुर्माना उचित कदम के रूप में देखा जा रहा है.


