Chandra Grahan 2025: सूतक काल शुरू, बद्री-केदार से लेकर काशी, आयोध्या तक मंदिरों के कपाट बंद, जानें कब से शुरू होगा चंद्रग्रहण
7 सितंबर 2025 को भारत में साल का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा. सूतक काल दोपहर 12:58 बजे शुरू होते ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के प्रमुख मंदिर बंद कर दिए गए. श्रद्धालु मंदिरों के बंद होने से निराश लौटे. शुद्धिकरण के बाद 8 सितंबर को मंदिर फिर से खुलेंगे.

भारत में साल 2025 का आखिरी और पूर्ण चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात को भारत में दिखाई देगा. यह चंद्रग्रहण विशेष इसलिए है क्योंकि वर्ष 2022 के बाद यह पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है जिसे भारत के लगभग सभी हिस्सों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा. इससे पहले ऐसा अवसर 27 जुलाई 2018 को मिला था.
कब शुरू और खत्म होगा ग्रहण?
ग्रहण रात 9:58 बजे से शुरू होगा, लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण सूतक काल दोपहर 12:58 बजे से ही आरंभ हो चुका है. सूतक काल के चलते कई राज्यों में प्रमुख मंदिरों को बंद कर दिया गया है, जिनमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बड़े धार्मिक स्थल शामिल हैं.
मंदिरों में बंद हुए कपाट
उत्तराखंड के प्रसिद्ध बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिरों सहित राज्य के सभी अधीनस्थ मंदिरों को सूतक शुरू होते ही बंद कर दिया गया. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि मंदिर अब 8 सितंबर की सुबह शुद्धिकरण के बाद फिर से भक्तों के लिए खोले जाएंगे.
इसी तरह, उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) और अयोध्या के मंदिर भी दोपहर के समय बंद कर दिए गए. वाराणसी में श्रद्धालु मंदिरों के बंद होने की जानकारी न होने के कारण निराश लौटते दिखाई दिए.
काशी में गंगा आरती का बदला समय
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली प्रसिद्ध गंगा आरती को ग्रहण के कारण सामान्य शाम के समय की बजाय दोपहर में ही कर दिया गया. चूंकि सूतक के दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित माना जाता है, इसलिए मंदिरों के गर्भगृह भी बंद कर दिए गए हैं.
अयोध्या में रामलला के कपाट बंद
अयोध्या के रामलला मंदिर सहित कई अन्य धार्मिक स्थलों पर भी सूतक के चलते पूजा स्थगित कर दी गई है. मंदिर के बाहर नोटिस लगाकर सूचित किया गया कि 7 सितंबर दोपहर 1 बजे से लेकर 8 सितंबर सुबह 4 बजे तक मंदिर बंद रहेगा. हालांकि, कई श्रद्धालु मंदिर परिसर के बाहर बैठकर हनुमान चालीसा या मंत्र जाप करते रहे.
सूतक काल और उसकी धार्मिक मान्यता
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल ग्रहण के पूर्व का वह समय होता है जब कोई भी शुभ कार्य, पूजा, या धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते. इस दौरान भोजन में तुलसी के पत्ते, कुश या दूब डालना शुद्धता बनाए रखने के लिए अनिवार्य माना जाता है.


