सेंथिल बालाजी, पोनमुडी ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, सीएम स्टालिन कैबिनेट में करेंगे फेरबदल

सेंथिल बालाजी लंबे समय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में थे. उन पर आरोप है कि पूर्व एआईएडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए उन्होंने "नौकरी के बदले नकदी" घोटाले को अंजाम दिया. बालाजी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद वे जेल से बाहर आए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी की जेल से रिहाई के तुरंत बाद मंत्री पद पर पुनः आसीन होने पर सख्त टिप्पणी की थी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

तमिलनाडु में रविवार को नाटकीय अंदाज में बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी और वन मंत्री के. पोनमुडी ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया. दोनों मंत्रियों ने राज्यपाल आर.एन. रवि को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए नए मंत्रियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

सेंथिल बालाजी लंबे समय से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में थे. उन पर आरोप है कि पूर्व एआईएडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए उन्होंने "नौकरी के बदले नकदी" घोटाले को अंजाम दिया. बालाजी को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद वे जेल से बाहर आए थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी की जेल से रिहाई के तुरंत बाद मंत्री पद पर पुनः आसीन होने पर सख्त टिप्पणी की थी. अदालत ने चिंता जताई थी कि मंत्री पद का दुरुपयोग कर वे मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.

वहीं, वन मंत्री पोनमुडी भी हाल के दिनों में विवादों में घिरे रहे. एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उनकी कुछ टिप्पणियों ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी. पोनमुडी ने शैव और वैष्णव परंपराओं के साथ-साथ महिलाओं पर भी आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जिस पर विपक्षी दलों एआईएडीएमके और भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन से पोनमुडी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की थी.

मद्रास हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

हालांकि, पोनमुडी ने बाद में अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक रूप से खेद जताया था, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ. मद्रास हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया और मंत्री को फटकार लगाते हुए पुलिस को एफआईआर दर्ज कर मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश दिया था.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इन दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के पीछे मुख्यमंत्री स्टालिन का दबाव था, जो अपनी सरकार की छवि को बचाए रखने के लिए किसी भी प्रकार के विवाद से दूरी बनाए रखना चाहते हैं. स्टालिन पहले भी कह चुके हैं कि उनकी सरकार "भ्रष्टाचार और अपमानजनक आचरण" के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी.

रविवार शाम को मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, "राज्य के हित और सरकार की छवि को बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया है. मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन जल्द ही नए मंत्रियों की नियुक्ति की सिफारिश करेंगे."

मंत्रिमंडल में होगा बदलाव

सूत्रों के अनुसार, इस्तीफा देने वाले मंत्रियों की जगह नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, ताकि सरकार की कार्यकुशलता और सार्वजनिक विश्वास को मजबूती मिले. यह भी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल में और भी कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है, जबकि सत्तारूढ़ डीएमके ने इन इस्तीफों को "नैतिकता और पारदर्शिता" का उदाहरण बताते हुए बचाव किया है.

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27 April 2025, 08:55 PM IST

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