शशि थरूर का धांसू इंटरव्यू! रिजिजू को बताया अपनी तरफ, राहुल की बॉडी लैंग्वेज पर क्या बोले?
Shashi Tharoor On Rahul Gandhi: 18वीं लोकसभा का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान की काफी हंगामा भी हो रही है. इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की हो रही है. उनके भाषण हो या उनकी कार्यशैली पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस पर चर्चा कर रहे हैं. इस बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर ने इंडियन एक्सप्रेस को इंटरव्यू दिया है और उसने राहुल गांधी की बॉडी लैंग्वेज समेत किरण रिजिजू को लेकर बात कही है.

Shashi Tharoor On Rahul Gandhi: संसद का मानसून सत्र चल रहा है. सदन के भीतर जितनी चर्चा हो रही है. उससे कई ज्यादा चर्चा देश में हो रही है. संसद में हो रही हर बहस और मोवमेंट को लेकर टीवी चैनलों से लेकर अखबारों तक हर जगह लोकसभा है. इसमें से सबसे ज्यादा चर्चा राहुल गांधी पर आधारित हो रही है. इस बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर ने इंडियन को एक इंटरव्यू दिया है. इसमें उन्होंने राहुल गांधी की बॉडी लैंग्वेज, संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू समेत कई मुद्दों पर बात की है.
शशि थरूर ने राहुल गांधी की सक्रियता को NDA और सरकार के लिए चुनौती बताया है. इसके साथ ही किरण रिजिजू की कार्यशैली में आए बदलाव पर बात की है. थरूर ने राहुल की बॉडी लैंग्वेज को सरकार, उनके सहयोगियों और भाजपा के लिए संदेश बताया है.
सदन में बदले हालात पर क्या बोले?
सदन में बदले हालातों के लेकर थरूर ने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि, भाजपा की सरकार ने अपना भारी बहुमत खो दिया है. इसके बाद भी मंत्रिमंडल में पूरी तरह से वही है और अध्यक्ष वही हैं. अभी तक तो अध्यक्ष और मंत्रियों की शैली में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है. अब ये देखना होगा की सरकार स्थाई समितियों का उचित आवंटन करती है या नहीं. क्योंकि, पहले उन्होंने परंपराओं को त्याग दिया था.
संसदीय कार्य मंत्री के काम को लेकर थरूर ने कहा कि कांग्रेस के समय बड़ा मजाक बना करता था कि संसदीय कार्य मंत्री अपने पक्ष की तुलना में विपक्ष की बेंच पर अधिक समय रहते हैं. हालांकि, भाजपा के 10 साल के दौरान ऐसा नहीं हुआ. अब इसमें थोड़ा सा अंतर नजर आया है. संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू हमारे पक्ष में आ गए हैं. खैर अब देखना होगा कि ये जारी रहेगा या नहीं.
राहुल की बॉडी लैंग्वेज एक संदेश
शशि थरूर ने राहुल गांधी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि बदलाव की शुरुआत दो भारत जोड़ो यात्राओं से हुई. तभी से राहुल सड़कों पर हैं और आम लोगों को देख, सुन और जान रहे हैं. निश्चित रूप से चुनाव नतीजों के बाद अब वो थोड़ा व्यस्त हो गए हैं. हालांकि, अभी भी सभी के लिए अधिक सुलभ रहते हैं. वे विपक्ष के नेता के रूप में भी सक्रिय हैं और संसद में काफी भाग ले रहे हैं. उनकी ताकत बढ़ने से सरकार अपनी ताकत का अब बेजा इस्तेमाल नहीं कर पाएगी.
आगे राहुल गांधी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में आत्मविश्वास की भावना स्पष्ट रूप से सामने आ रही है. वो जिस तरह से काम कर रहे हैं उनकी बॉडी लैंग्वेज बताती है कि वो मुखर हैं. ये पार्टी, सहयोगियों के साथ ही भाजपा और उसके सहयोगियों के स्पष्ट रूप से संदेश है कि राहुल अब मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.


