जब विलेन बन गया असली हीरो: ‘धुरंधर’ में अक्षय खन्ना की अदाकारी ने बॉलीवुड की पुरानी परिभाषा तोड़ दी
बॉलीवुड में जब भी सशक्त अभिनय और गहराई से भरे किरदारों की बात होती है, तो अक्षय खन्ना का नाम अपने आप सामने आ जाता है .एक बार फिर वह अपनी फिल्म 'धुरंधर' से सुर्खियों में हैं। इस फिल्म में अक्षय खन्ना ने एक ऐसा अनोखा किरदार निभाया है जिसने न सिर्फ दर्शकों को दीवाना बना दिया है, बल्कि एक तरह से फिल्म के लीड एक्टर को भी पीछे छोड़ दिया है।

नई दिल्ली: बॉलीवुड में जब भी सशक्त अभिनय और गहराई से भरे किरदारों की बात होती है, तो अक्षय खन्ना का नाम अपने आप सामने आ जाता है. एक बार फिर वह अपनी फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर चर्चा में हैं. इस फिल्म में अक्षय खन्ना ने ऐसा दमदार निगेटिव रोल निभाया है, जिसने न सिर्फ दर्शकों का ध्यान खींचा बल्कि फिल्म के हीरो को भी कहीं न कहीं पीछे छोड़ दिया है.
फिल्मी गलियारों में यह चर्चा तेज़ है कि ‘धुरंधर’ में असली हीरो कोई और नहीं बल्कि विलेन बने अक्षय खन्ना ही है. उनकी स्क्रीन प्रेजेंस, डायलॉग डिलीवरी और आंखों से डर पैदा करने वाला अभिनय दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ रहा है.
विलेन के रूप में अक्षय खन्ना का जलवा
अक्षय खन्ना लंबे समय से उन अभिनेताओं में गिने जाते हैं, जो कम फिल्मों में नजर आते हैं लेकिन जब आते हैं तो किरदार यादगार बना देते हैं. ‘धुरंधर’ में उनका निगेटिव रोल पारंपरिक विलेन से बिल्कुल अलग बताया जा रहा है. यह किरदार शांत दिखने के बावजूद अंदर से बेहद खतरनाक है, उनकी सादगी ही डर पैदा करती है.
यही वजह है कि दर्शकों की नजर बार-बार उन्हीं पर टिक जाती है. फिल्म की ओपनिंग से लेकर अहम मोड़ों तक, उनका किरदार कहानी की दिशा तय करता नजर आता. कई सीन में ऐसा महसूस होता है कि कहानी उन्हीं के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिससे हीरो का प्रभाव थोड़ा कम होता दिखाई देता है.
हीरो पर क्यों पड़ा भारी विलेन?
आमतौर पर बॉलीवुड फिल्मों में हीरो केंद्र में होता है, लेकिन ‘धुरंधर’ में समीकरण उल्टा नजर आ रहा है. अक्षय खन्ना की परफॉर्मेंस इतनी प्रभावशाली है कि दर्शकों की नजर बार-बार उन्हीं पर टिक जाती है. उनके एक्सप्रेशंस, बॉडी लैंग्वेज और संवाद अदायगी ने फिल्म को अलग स्तर पर पहुंचा दिया है.तो आइये जानते है बॉलीवुड की फिल्मों के बारे में जहां विलेन हीरो पर पड़े भारी.
1. पद्मावत (Padmaavat)
रणवीर सिंह ने अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में ऐसा तूफान मचाया कि शाहिद कपूर का महारावल रतन सिंह अपेक्षाकृत फीका पड़ गया. खिलजी की क्रूरता और करिश्मा आज भी याद किया जाता है.
2. बाज़ीगर (Baazigar)
इस फिल्म में शाहरुख खान तकनीकी रूप से हीरो थे, लेकिन उनका निगेटिव शेड इतना हावी था कि पारंपरिक हीरो की परिभाषा ही बदल गई.
3. अग्निपथ (Agneepath – 2012)
संजय दत्त का कांचा चीना इतना डरावना और प्रभावशाली था कि ऋतिक रोशन का विजय भी कई दृश्यों में पीछे छूटता नजर आया.
4. शोले (Sholay)
'गब्बर सिंह' यह नाम ही काफी है. अमजद खान का यह विलेन आज भी फिल्म से ज्यादा बड़ा माना जाता है, जबकि लीड में धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन थे.
5. डॉन (Don – 1978)
डॉन के निगेटिव अवतार ने विजय के किरदार को पूरी तरह ढक लिया था. यह रोल आज भी बॉलीवुड के सबसे आइकॉनिक विलेन किरदारों में गिना जाता है.
6. धूम 2 (Dhoom 2)
ऋतिक रोशन का आर्यन इतना स्टाइलिश और प्रभावी था कि पुलिस ऑफिसर जय-आलिया का ट्रैक सेकेंडरी लगने लगा.
7. एनिमल (Animal)
बॉबी देओल का अबरार किरदार कम स्क्रीन टाइम के बावजूद इतना प्रभावी रहा कि रणबीर कपूर का रणविजय भी कई दर्शकों को सेकेंडरी लगा. बिना डायलॉग बोले डर पैदा करना बॉबी देओल की सबसे बड़ी जीत रही.

