सूत्रों का दावा: पीएम मोदी खुद एयरपोर्ट जाकर करेंगे पुतिन का स्वागत
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा को लेकर तैयारियां चरम पर हैं. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हवाई अड्डे पर जाकर पुतिन का स्वागत कर सकते हैं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा को लेकर तैयारियां चरम पर हैं. सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद हवाई अड्डे पर जाकर पुतिन का स्वागत कर सकते हैं. यह कदम दोनों देशों के मजबूत और ऐतिहासिक रिश्तों का संकेत माना जा रहा है.
रूस–यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली भारत यात्रा
खास बात यह है कि फरवरी 2022 में रूस–यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा है. इसलिए इस दौरे के राजनीतिक और कूटनीतिक मायने और भी बढ़ जाते हैं.
पुतिन का यह दौरा लगभग 28 घंटे का होगा, जिसके दौरान वह नई दिल्ली में कई अहम कार्यक्रमों में शामिल होंगे. उनकी यात्रा का मुख्य केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाली 23वीं भारत–रूस वार्षिक शिखर बैठक है. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और दुनिया की महाशक्तियां नए समीकरण बना रही हैं. इसलिए इस मुलाकात से केवल भारत और रूस ही नहीं, बल्कि कई अन्य देश भी नजरें लगाए हुए हैं.
शिखर बैठक में क्या होगा खास?
भारत और रूस के बीच होने वाली इस शिखर बैठक के लिए एक विस्तृत एजेंडा तैयार किया गया है. इसमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और प्रौद्योगिकी जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया गया है.
1. रक्षा सहयोग पर फोकस
भारत की रक्षा जरूरतों में रूस की भूमिका लंबे समय से बेहद अहम रही है. इस बैठक में रक्षा सहयोग को नई दिशा देने और मौजूदा सैन्य प्रोजेक्ट्स को गति देने पर चर्चा होने की संभावना है. भारत रूसी रक्षा उद्योग के साथ संयुक्त उत्पादन, रखरखाव और तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दे सकता है.
2. द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबावों से बचाने की रणनीति
बीते कुछ वर्षों में भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. तेल आयात में बढ़ोतरी ने दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को मजबूती दी है. हालांकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते रूस के साथ वित्तीय लेन-देन में कई बाधाएं आती हैं. इस बैठक में इन दबावों को कम करने और व्यापार को सुरक्षित रखने की रणनीति पर बात होगी.
3. ऊर्जा सहयोग और SMR (Small Modular Reactors)
भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए लगातार नए विकल्प तलाश रहा है. रूस परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार रहा है. इस बार छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) पर भी बातचीत होने की उम्मीद है, जो भविष्य की स्वच्छ और सुरक्षित ऊर्जा तकनीक मानी जाती है.
4. तेल और गैस व्यापार पर पश्चिमी प्रतिबंधों का प्रभाव
यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी दुनिया ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इसका असर दुनिया भर में तेल व्यापार पर पड़ा है. भारत जैसे बड़े ऊर्जा आयातक देश के लिए यह एक चुनौती भी है और अवसर भी. शिखर बैठक में दोनों नेता इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे तेल व्यापार का प्रवाह जारी रहे और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियाँ विकसित की जा सकें.


