'अगली बार दिमाग लगाकर आना' - सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस से पूछा, इमरान प्रतापगढ़ी की कविता में क्या था भड़काऊ?
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस ने एक वीडियो को लेकर केस दर्ज किया था, जिसमें एक कविता को भड़काऊ बताया गया. हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां जजों ने पुलिस से ही सवाल कर दिए और कविता का असली मतलब समझाया. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के तर्कों पर भी सवाल उठाए और मामले पर रोक लगा दी. अब जानिए, आखिर कोर्ट में क्या हुआ, पुलिस से क्या पूछा गया और यह पूरा मामला है क्या? पढ़िए पूरी खबर!

Supreme Court: गुजरात पुलिस ने कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ एक कथित भड़काऊ वीडियो को लेकर एफआईआर दर्ज की थी. हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से उन्हें बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने गुजरात पुलिस से ही सवाल करते हुए कविता का सही अर्थ समझाया और कहा कि यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है.
क्या था पूरा मामला?
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया था. इस 46 सेकेंड के वीडियो में वे हाथ हिलाते हुए चलते दिख रहे थे और उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं. बैकग्राउंड में एक गाना बज रहा था, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया.
गुजरात पुलिस ने दावा किया कि इस गाने के बोल भड़काऊ थे, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक थे और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले थे. इसी आधार पर जामनगर में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए इमरान प्रतापगढ़ी ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से किया सवाल
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जवल भूइयां की पीठ ने गुजरात पुलिस से सवाल किया. कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में कविता के अर्थ को सही से समझने की कोशिश नहीं की.
न्यायाधीशों ने कहा, "अंततः यह एक कविता है. इसमें किसी धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं है. यह परोक्ष रूप से कहती है कि भले ही कोई हिंसा में शामिल हो, हम हिंसा में शामिल नहीं होंगे. यह किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है."
'अगली बार दिमाग लगाकर आना' - सुप्रीम कोर्ट
जब राज्य के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने मामले को तीन सप्ताह के लिए टाल दिया. साथ ही, अदालत ने वकील से कहा, "अगली बार दिमाग लगाकर अदालत में वापस आना."
पहले भी लग चुकी थी कार्यवाही पर रोक
इससे पहले, 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रतापगढ़ी के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. साथ ही, गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता किशनभाई दीपकभाई नंदा को नोटिस जारी किया था.
गुजरात हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की थी याचिका?
गुजरात हाईकोर्ट ने 17 जनवरी को इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि जांच अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है.
कब और कहां दर्ज हुआ था केस?
प्रतापगढ़ी पर 3 जनवरी को गुजरात के जामनगर में एक सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित रूप से उत्तेजक गीत पोस्ट करने का मामला दर्ज किया गया था.
क्या आगे होगा?
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तीन हफ्तों के लिए टाल दिया है, लेकिन कोर्ट की सख्त टिप्पणी से साफ है कि इमरान प्रतापगढ़ी को इस मामले में राहत मिल सकती है. अब देखना यह होगा कि अगली सुनवाई में गुजरात पुलिस और राज्य सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है.


