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'महाराजा की तरह व्यवहार ना करें', सुप्रीम कोर्ट ने रोल्स रॉयस कार विवाद पर लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई-प्रोफाइल वैवाहिक विवाद में दोनों पक्षों को महाराजा की तरह व्यवहार ना करने की नसीहत देते हुए कहा कि मामला सिर्फ अहंकार की टकराहट का है.

सुप्रीम कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद की सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र कायम है और कोई भी पक्ष 'महाराजा' की तरह बर्ताव ना करें. ये टिप्पणी एक ऐसे दंपति के मामले में की गई, जहां दोनों पक्ष खुद को प्रतिष्ठित और शाही परिवारों से जुड़ा बताते हैं, लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ गंभीर आरोपों के साथ कोर्ट में आमने-सामने हैं.

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने साफ कहा कि इस विवाद में असल जड़ 'अहंकार की लड़ाई' है, जो अब सुलह की हर कोशिश को विफल कर रही है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को अंतिम मौका देते हुए कहा कि अगर समझौता नहीं हुआ तो 3 दिन के अंदर कड़ा फैसला सुनाया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुनवाई के दौरान पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं कि मध्यस्थता की कोशिश नाकाम हो गई है? राजा-महाराजा की तरह व्यवहार ना करें. लोकतंत्र की स्थापना को 75 साल बीत चुके हैं. ये टिप्पणी उस पक्ष के लिए थी जो खुद को शाही वंश से संबंधित बताता है.

महिला ने लगाए गंभीर आरोप

ग्वालियर निवासी महिला ने याचिका में आरोप लगाया कि उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज में एक 1951 मॉडल की रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट की मांग की. याचिका में कहा गया कि जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुई, तो उन्होंने शादी को मानने से इनकार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठे आरोप लगाने लगे और उसका चरित्र हनन शुरू कर दिया.

पति ने लगाया जालसाजी का आरोप

वहीं, पति की ओर से दावा किया गया कि उसकी पत्नी और उसके परिवार ने विवाह प्रमाण पत्र बनाने में धोखाधड़ी और जालसाजी की. इसके चलते उन्होंने पत्नी, ससुर और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ मामला दर्ज कराया. दूसरी ओर महिला ने दहेज उत्पीड़न और मानसिक क्रूरता का केस दर्ज करवाया है.

नेहरू से जुड़ी कार बना विवाद का केंद्र

इस मामले की जड़ बनी है एक दुर्लभ 1951 मॉडल की रोल्स रॉयस कार, जिसकी कीमत 2.5 करोड़ रुपये से ज्यादा बताई गई है. ये वही कार है, जिसे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की महारानी के लिए बनवाया था. ये मॉडल अपने आप में अनोखा है और दोनों पक्ष इसे लेकर भी आमने-सामने हैं.

'समस्या सिर्फ अहंकार की है': सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने टिप्पणी की कि हम जानते हैं कि मामले में केवल अहंकार के कारण समझौता नहीं हो पाया है. अगर विवाद पैसे को लेकर है तो उसे कोर्ट सुलझा सकती है, लेकिन इसके लिए पक्षों को आम सहमति पर पहुंचना होगा. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने कोर्ट से अनुरोध किया कि एक बार और दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति की संभावना तलाशने का अवसर दिया जाए. कोर्ट ने उनकी अपील मानते हुए सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है.

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16 May 2025, 01:30 PM IST

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