सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: फिलहाल ‘बेदाग’ शिक्षक रहेंगे नौकरी पर, बंगाल सरकार को नई भर्ती का आदेश
जिन शिक्षकों की भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं हुई वो फिलहाल नौकरी पर बने रहेंगे लेकिन बंगाल सरकार को अब जल्दी से नई भर्ती शुरू करनी होगी वरना कोर्ट लेगा सख्त एक्शन. कौन रह पाएगा नौकरी पर और किसकी जाएगी नौकरी? जानिए पूरी खबर में!

New Delhi: बात शुरू होती है साल 2016 से, जब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) ने राज्य के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भारी भरती की थी. इस भरती प्रक्रिया में 24,640 पद थे लेकिन 25,753 नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए. अब सोचिए, जब सीट ही कम हों और नौकरी पाने वाले ज्यादा हो जाएं, तो शक तो होना ही है. और हुआ भी! जांच में सामने आया कि इसमें OMR शीट से छेड़छाड़, रैंक में हेराफेरी जैसी गंभीर अनियमितताएं हुईं. इसको लेकर खूब बवाल मचा और मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार को झटका तो दिया, लेकिन थोड़ी राहत भी दी. कोर्ट ने कहा कि जो "बेदाग" यानी जिनके खिलाफ कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई, वे सहायक शिक्षक (Class 9-12) नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक अपनी नौकरी पर बने रह सकते हैं. यानी फिलहाल उनकी नौकरी नहीं जाएगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट यहीं नहीं रुका. कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार 31 मई तक नई भरती प्रक्रिया का विज्ञापन निकाले और पूरी चयन प्रक्रिया 31 दिसंबर तक खत्म हो जानी चाहिए. वरना कोर्ट जुर्माना समेत सख्त कदम उठा सकता है.
किन्हें राहत नहीं मिलेगी?
यह छूट सिर्फ Class 9 से 12 के बेदाग सहायक शिक्षकों के लिए है. कोर्ट ने साफ किया कि ग्रुप C और D के कर्मचारियों पर ये आदेश लागू नहीं होगा, क्योंकि वहां गड़बड़ी करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है. यानी जिन्हें संदेह है, उन्हें फिलहाल बाहर ही रहना होगा.
क्या है यह पूरा मामला?
ये पूरा घोटाला 2016 की भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा है. जहां कथित रूप से नौकरी के बदले पैसे लिए गए. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस भर्ती को पूरी तरह रद्द कर दिया था और सभी 25,753 शिक्षकों और स्टाफ की नियुक्ति को खत्म कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को तो बरकरार रखा, लेकिन ये छूट देते हुए कहा कि जो "बेदाग" हैं, वे नई चयन प्रक्रिया तक काम करते रह सकते हैं. पिछले साल 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी, लेकिन CBI को जांच जारी रखने की इजाजत दी थी. अब कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने होंगे और समयसीमा का पालन करना होगा.


