'चांदनी चौक में अवैध निर्माण पर सख्ती, सुप्रीम कोर्ट ने कहा - अब बिल्डरों से मिलीभगत नहीं चलेगी!'
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के चांदनी चौक में अवैध निर्माणों पर एमसीडी को फटकार लगाई है और वहां की संपत्तियों को गिराने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने एमसीडी से एक रिपोर्ट मांगी और कहा कि अगर वे सही कार्रवाई नहीं करते तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई हो सकती है. इस मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी. क्या एमसीडी अपनी जिम्मेदारी निभाएगी? जानिए पूरी खबर में!

New Delhi: दिल्ली के ऐतिहासिक और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र, चांदनी चौक में इन दिनों एक विवाद सामने आया है, जो अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) द्वारा चांदनी चौक के फतेहपुरी इलाके में चल रहे अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करने के मामले में एक बड़ा आदेश दिया. कोर्ट ने एमसीडी को फटकार लगाते हुए, चांदनी चौक में कुछ संपत्तियों को गिराने पर रोक लगा दी.
एमसीडी को अवमानना कार्रवाई की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान एमसीडी को कड़ी फटकार लगाई. दरअसल, एमसीडी ने यह दावा किया था कि वह वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण को रोकने में असमर्थ हैं. इस पर कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी और कहा कि अगर वे अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल होते हैं तो उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जा सकती है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि एमसीडी की कार्रवाई संदेहास्पद पाई जाती है, तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वे बिल्डरों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं.
संपत्तियों को गिराने पर रोक
चांदनी चौक में लगातार बढ़ते अवैध निर्माणों के कारण समस्या और भी गंभीर हो गई थी. इन अवैध निर्माणों को हटाने के लिए एमसीडी ने कई बार कोशिश की थी, लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए, इन संपत्तियों को गिराने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह आदेश दिया कि जब तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक किसी भी प्रकार की निर्माण कार्यवाही नहीं की जाए. साथ ही कोर्ट ने एमसीडी को सभी विवरणों के साथ स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.
एमसीडी पर शक, कोर्ट ने स्वतंत्र निरीक्षण की इच्छा जताई
कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, एमसीडी के वकील से रिपोर्ट की मांग की. एमसीडी के वकील ने बताया कि अदालत के आदेश के अनुपालन में एक टीम ने चांदनी चौक के क्षेत्र का दौरा किया था और सभी अवैध निर्माण हटा दिए गए थे, लेकिन छुट्टियों के कारण रिपोर्ट रिकॉर्ड में नहीं रखी जा सकी थी. हालांकि, कोर्ट ने इस पर संतोष नहीं जताया और कहा कि वह एमसीडी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते. इसके कारण, कोर्ट ने स्वतंत्र रूप से इस स्थल का निरीक्षण करने का निर्णय लिया.
आखिरी सुनवाई 23 मई को होगी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 23 मई को तय की है. इस दिन अदालत को यह देखने का मौका मिलेगा कि क्या एमसीडी ने कोर्ट के आदेशों का पालन किया है और क्या चांदनी चौक में किए गए अवैध निर्माणों को सचमुच हटाया गया है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है, जब वे अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाते. कोर्ट ने न सिर्फ एमसीडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए, बल्कि यह भी कहा कि अगर एमसीडी ने ठीक से काम नहीं किया तो वह बिल्डरों के साथ मिलीभगत का आरोप लगा सकता है. अब सभी की नजर 23 मई की सुनवाई पर है, जहां यह साफ होगा कि चांदनी चौक में भविष्य में किस दिशा में कदम उठाए जाएंगे.


