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10 शादी, 5 पर रेप का आरोप; महिला की शिकायत पर क्यों भड़का कोर्ट?

Karnatak Highcourt: कर्नाटक हाईकोर्ट में आजिबोगरीब मामला पहुंचा. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक को निर्देश दिया कि वे सभी पुलिस स्टेशनों को एक महिला वादी के बारे में सचेत करें, जिसने पिछले एक दशक में दस अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ दस आपराधिक मामले दर्ज कराए हैं.

JBT Desk
Edited By: JBT Desk

Karnatak Highcourt:  कर्नाटक में एक महिला ने 2011 से 2022 के बीच 10 पुरुषों के खिलाफ 10 मामले दर्ज कराए. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अब राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस महानिरीक्षक को सभी पुलिस स्टेशनों को "सीरियल लिटिगेंट" के बारे में सतर्क करने का निर्देश दिया है.यह निर्देश न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना द्वारा जारी किया गया, जिन्होंने कानूनी प्रक्रिया के किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया. 

अदालत का ये आदेश भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत महिला द्वारा दायर एक मामले को रद्द करते हुए आया, जो महिलाओं के खिलाफ उनके पतियों या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता से संबंधित है. ये निर्णय उसके केस इतिहास की विस्तृत जांच के बाद लिया गया, जिसमें कई पुरुषों के खिलाफ मुकदमेबाजी का एक चिंताजनक पैटर्न सामने आया.

10 पुरुषों के खिलाफ शिकायत दर्ज

पिछली सुनवाई के दौरान, अदालत ने पाया कि महिला एक "सीरियल लिटिगेंट" रही है, जिसने 2011 से 2022 के बीच कई पुरुषों के खिलाफ दस आपराधिक मामले दर्ज किए हैं. अदालत ने कहा कि पहला मामला 2011 में दर्ज किया गया था और 2015 तक उसने कई शिकायतें दर्ज करा दी थीं, जिनमें हनुमेषा नामक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक धमकी का मामला और संतोष नामक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का एक अन्य मामला शामिल था, जिसमें शादी का वादा तोड़ने का आरोप लगाया गया था.

पांच लोगों पर बलात्कार का आरोप

पिछले कुछ सालों में महिला ने पांच लोगों पर बलात्कार, दो पर क्रूरता और तीन पर छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी का आरोप लगाया है. अदालत ने सभी दस शिकायतों की समीक्षा की और पाया कि आरोपों की प्रवृत्ति एक जैसी है, जिसके कारण अदालत ने महिला की हरकतों को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया.

कोर्ट ने क्या कहा 

पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि ये कुछ महिलाओं द्वारा पुरुषों के खिलाफ कानून के दुरुपयोग को संबोधित करता है. अदालत ने ये फैसला महिला के पति और ससुराल वालों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए सुनाया. इसमें महिला की शिकायतों को रद्द करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति ने कहा, महिला ने आईपीसी की धारा 323, 498ए, 504, 506 और 149 के तहत आरोप लगाए हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता मूर्ति डी नाइक ने महिला की पिछली शिकायतों के साक्ष्य प्रस्तुत किए। इन्हें अभियोजन पक्ष की तरफ से सत्यापित किया गया था.

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12 September 2024, 07:23 AM IST

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