लिस्ट में SC-ST और OBC नहीं, CIC के चुनाव में राहुल गांधी ने जताया विरोध, फिर जो हुआ...
प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और राहुल गांधी की चयन समिति बैठक में CIC व अन्य नियुक्तियों पर विवाद हुआ. राहुल ने SC-ST-OBC-अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व की कमी और RTI कानून कमजोर करने का आरोप लगाया. आयोग में आठ पद खाली हैं और विपक्ष पहले भी विरोध जता चुका है.

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक में बुधवार को नए मुख्य सूचना आयुक्त (CIC), कई सूचना आयुक्त (ICs) और एक विजिलेंस कमिश्नर की नियुक्ति पर विचार-विमर्श हुआ. यह बैठक अपेक्षा से अधिक विवादित और महत्वपूर्ण रही, क्योंकि राहुल गांधी ने इसमें अपने मतभेद बेहद स्पष्ट और प्रखर तरीके से दर्ज कराए.
राहुल गांधी की सख्त आपत्ति
बैठक के दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा तैयार की गई शॉर्टलिस्ट में प्रतिनिधित्व का भारी अभाव है. रिपोर्ट के अनुसार, राहुल ने कहा कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और अल्पसंख्यक समुदायों को लगभग पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राहुल गांधी ने कई सप्ताह पहले ही सरकार से आवेदकों की जाति-वार संरचना उपलब्ध कराने को कहा था. बुधवार को उन्हें जो विस्तृत सूची दी गई, उसमें पता चला कि कुल आवेदनों में मात्र 7 प्रतिशत उम्मीदवार ही बहुजन समुदायों से थे. इससे भी अधिक चिंता की बात उनके अनुसार यह थी कि अंतिम शॉर्टलिस्ट में ऐसे समुदायों से केवल एक उम्मीदवार शामिल था.
इन आंकड़ों को आधार बनाकर राहुल गांधी ने विस्तृत असहमति नोट समिति को सौंपा और कहा कि यह स्थिति लोकतांत्रिक संस्थाओं की प्रतिनिधिक प्रकृति पर गंभीर सवाल खड़े करती है.
RTI कानून को कमजोर करने का आरोप
बैठक में राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सूचना का अधिकार (RTI) कानून को सुनियोजित तरीके से कमजोर कर रही है. उन्होंने कहा कि शॉर्टलिस्ट किए गए कुछ उम्मीदवारों का पूर्व कार्यकाल पारदर्शिता और जवाबदेही की कसौटी पर संतोषजनक नहीं रहा है. उनके अनुसार, सरकार ऐसी नियुक्तियाँ कर रही है जिनसे लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता कमजोर होती है.
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वर्षों से SC, ST, OBC, EBC और अल्पसंख्यक समुदायों को संवैधानिक व जिम्मेदार पदों पर व्यवस्थित रूप से बाहर रखा जा रहा है, जो संस्थागत पक्षपात को दर्शाता है.
सीमित समूह से चुनने पर बनी सहमति
राहुल गांधी की आपत्तियों के बाद यह कहा जा रहा है कि समिति ने उपलब्ध आवेदकों में से कुछ नामों पर पुनर्विचार करने पर सहमति जताई है. हालांकि सरकार की ओर से इस बात पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है कि शॉर्टलिस्ट में बदलाव होगा या नहीं.
लोकसभा में राहुल गांधी की नाराजगी
बैठक से एक दिन पहले राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा था कि चयन समितियों में विपक्ष की आवाज प्रतीकात्मक बनकर रह गई है. राहुल गांधी के मुताबिक, एक तरफ प्रधानमंत्री और अमित शाह होते हैं, दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष. ऐसे में मेरी कोई आवाज नहीं होती. अंतिम फैसला वही करते हैं. उनकी यह टिप्पणी चुनाव आयुक्तों और CVC जैसे अन्य शीर्ष पदों की नियुक्तियों पर भी लक्षित थी, जिनकी चयन प्रक्रिया CIC जैसी ही है.
CIC में खाली पदों की भारी समस्या
मुख्य सूचना आयुक्त का पद 13 सितंबर से खाली है, जब तत्कालीन CIC हीरालाल समारिया सेवानिवृत्त हुए. सूचना आयोग में कुल 10 आयुक्त होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में केवल 2 आयुक्त काम कर रहे हैं और आठ पद वर्षों से खाली पड़े हैं. आयोग की साइट के अनुसार, 30,000 से अधिक मामले लंबित हैं. हीरालाल समारिया अनुसूचित जाति (SC) से आते थे.
पहले भी उठती रही हैं आपत्तियां
यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने CIC की नियुक्तियों का विरोध किया है. 2023 में अधीर रंजन चौधरी ने समारिया की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. 2020 में यशवर्धन कुमार सिन्हा को CIC और उदय महूरकर को IC बनाने का विपक्ष ने विरोध किया था, लेकिन नियुक्तियां फिर भी की गईं.


