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शिक्षण संस्थाओं से लेकर CBI और ED तक एक संस्था का कब्जा...लोकसभा में बोले राहुल गांधी

लोकसभा में चुनाव सुधार पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, ईवीएम की विश्वसनीयता और संस्थानों पर कथित राजनीतिक दबाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों से लेकर जांच एजेंसियों तक नियुक्तियां एक संगठन के प्रभाव में हो रही हैं.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन लोकसभा में चुनावी सुधारों पर एक महत्त्वपूर्ण चर्चा शुरू हुई. इस बहस में मतदाता सूची के पुनरीक्षण से लेकर ईवीएम की विश्वसनीयता और राजनीतिक दलों को मिलने वाले गुमनाम चंदे जैसे विषय केंद्र में रहे. चुनाव प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सांसदों के बीच तीखी और विस्तृत बहस देखने को मिली.

खादी केवल कपड़ा नहीं, बल्कि देश की आत्मा...

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत खादी और भारतीय वस्त्र परंपरा का उल्लेख करते हुए की. उन्होंने कहा कि खादी केवल कपड़ा नहीं, बल्कि देश की आत्मा का प्रतीक है. असमिया गमछे से लेकर कांचीपुरम की साड़ी तक, उन्होंने भारत की विविधता को एक साझा कपड़े की बुनावट से तुलना करते हुए कहा कि देश के 150 करोड़ लोग एक ही धागे का हिस्सा हैं, जो भारत की एकता को परिभाषित करता है.

RSS का विभिन्न संस्थाओं पर कब्जा 
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आरएसएस देश की विभिन्न संस्थाओं पर कब्जा कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में कुलपति ऐसे लोगों को बनाया गया है जिनका झुकाव एक विशेष संगठन की ओर है. उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने जोरदार आपत्ति जताई, जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी को आगाह करते हुए कहा कि वे बहस को चुनाव सुधार के दायरे में रखें और किसी संगठन का नाम लेने से बचें.

संस्थाओं की स्वतंत्रता पर सवाल
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा और दावा किया कि शिक्षण संस्थानों में नियुक्तियों से लेकर केंद्रीय जांच एजेंसियों तक कई जगहों पर संस्थागत नियंत्रण स्थापित किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई, ईडी और अन्य संस्थाएं योग्यता के बजाय एक संगठन के प्रभाव में काम कर रही हैं. उनके अनुसार, यही प्रवृत्ति चुनाव आयोग तक पहुंच चुकी है, जिस पर अब राजनीतिक दबाव हावी है.

चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर गंभीर आरोप
राहुल गांधी ने कहा कि चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका हटाने का निर्णय लोकतांत्रिक ढांचे के लिए हानिकारक है. उन्होंने दावा किया कि संसद में 2023 में लाया गया नया प्रावधान चुनाव आयुक्तों को दंडित न किए जाने की सुरक्षा देता है, जिसे उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किया गया एक खतरनाक बदलाव बताया. उनके अनुसार, चुनाव आयोग और सरकार के बीच असामान्य तालमेल बन गया है, जो चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है.

डेटा, CCTV और चुनावी पारदर्शिता पर सवाल
राहुल गांधी ने कहा कि सीसीटीवी और वोटिंग डेटा से जुड़े नियमों में किए गए संशोधनों ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को कम किया है. उन्होंने कहा कि यह केवल तकनीकी या डेटा से संबंधित विषय नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद और चुनावों की विश्वसनीयता का सवाल है. उन्होंने दावा किया कि उनके पास इन सभी आरोपों के समर्थन में सबूत मौजूद हैं.

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09 December 2025, 04:47 PM IST

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