ट्रंप की धमकी बेअसर, ब्रिक्स की बैठक में शामिल होंगे एस. जयशंकर, जानिए रूसी तेल पर क्या कहा...
अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर वैश्विक रणनीति बनाने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने 8 सितंबर को BRICS की वर्चुअल बैठक बुलाई है. इसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर हिस्सा लेंगे.

Jaishankar will attend BRICS meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बावजूद भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक रणनीति से पीछे नहीं हटेगा. नई दिल्ली ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रहेगा और अमेरिकी दबाव उसके फैसलों को प्रभावित नहीं करेगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और आर्थिक मजबूरियों को देखते हुए रूसी तेल का आयात करता रहेगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि तेल जैसी महत्त्वपूर्ण वस्तु के लिए विकल्प वही चुना जाएगा जो दरों और लॉजिस्टिक्स की दृष्टि से सबसे उपयुक्त हो. सीतारमण ने एक इंटरव्यू में कहा कि चाहे रूसी तेल हो या किसी अन्य देश से खरीद, यह हमारा अधिकार है कि हम वहीं से आयात करें जहां से हमारी आवश्यकताएं पूरी हों और विदेशी मुद्रा की बचत हो सके.
50 प्रतिशत तक का टैरिफ
गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत समेत कई देशों के उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगा दिया है. इससे खासकर टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों पर सीधा असर पड़ा है. वित्त मंत्री का कहना है कि इन प्रभावों को जीएसटी सुधारों और सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे राहत उपायों से कुछ हद तक संतुलित किया जा सकेगा. छोटे निर्यातकों और प्रभावित उद्योगों के लिए पैकेज की योजना बनाई जा रही है.
भारत की ऊर्जा जरूरतों को समझना भी जरूरी है. दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता होने के कारण भारत अपनी 88 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरी करता है. रूस से मिलने वाले रियायती तेल ने पिछले तीन सालों में अरबों डॉलर की बचत कराई है, इसलिए यह सौदा भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है.
8 सितंबर को BRICS की वर्चुअल बैठक
इस बीच, अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर वैश्विक रणनीति बनाने के लिए ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने 8 सितंबर को BRICS की वर्चुअल बैठक बुलाई है. इसमें भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर हिस्सा लेंगे. सूत्रों का कहना है कि इस स्तर पर विदेश मंत्री की भागीदारी ही पर्याप्त समझी गई है. भारत का रुख यह है कि BRICS और SCO जैसे मंच पश्चिम-विरोधी नहीं बल्कि वैकल्पिक वैश्विक सहयोग का प्रतिनिधित्व करते हैं.
दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन BRICS को अमेरिका-विरोधी बताकर इन देशों पर और अधिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. ब्राजील को भी इसी विवाद में घसीटा गया है, जहां ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर प्रतिबंध तक लगा दिए हैं. लूला ने हाल ही में कहा कि ट्रंप बहुपक्षवाद को कमजोर कर रहे हैं और यह रुख वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत में अमेरिका के दबाव का मिलकर सामना करने और द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई.


