Uttarakhand: चंद्रयान को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतारने वाला भारत बना विश्व का पहला राष्ट्र- बोले JP Nadda
JP Nadda in Uttarakhand: हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय में वसुधैव कुटुंबकम व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि, "देश आज गर्व महसूस करता है, जब हमारे वैज्ञानिक चंद्रयान को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतारते हैं..
JP Nadda in Uttarakhand: आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे है. उत्तराखंड जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर ढोल नगाड़ों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया गया. जेपी नड्डा के स्वागत के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे. इस दौरान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचने पर CM धामी, हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत समेत कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया.
हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय में वसुधैव कुटुंबकम व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि, "देश आज गर्व महसूस करता है, जब हमारे वैज्ञानिक चंद्रयान को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतारते हैं और ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बनता है. आगे उन्होंने कहा कि, कल प्रधानमंत्री जी ने चांद के जिस स्थान पर चंद्रयान उतरा था, उसका नामकरण किया और उस टच डाउन को 'शिवशक्ति' नाम दिया."
जेपी नड्डा ने कहा कि, "अगर हम शिक्षा के क्षेत्र में पाश्चात संस्कृति की बात करें तो उसमें शिक्षा जीवन अर्पण करने का माध्यम है. वहीं अगर हम अपनी संस्कृति की बात करें तो हमें समझ में आता है कि इसकी शुरुआत ही 'संस्कार शाला' से होती है. यहां शिक्षा अपने जीवन का सार्थक अर्थ ढूंढने का माध्यम है. व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में देव संस्कृति विश्वविद्यालय एक पायनियर संस्थान के रूप में देश में अपना योगदान करेगा."
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि, "इसी के माध्यम से आगे चल कर देश में परिवर्तन आएगा. पाश्चात्य देशों के सोचने का तरीका रहा है कि मनुष्य सर्वोच्च है. भगवान ने सब कुछ हमारे लिए ही बनाया है. इसलिए वह सोचते हैं कि इनका उपयोग नहीं उपभोग करना हमारी जिम्मेदारी है. जबकि हम सोचते हैं कि उतना लो जितना आवश्यक है, उतना लो जितना पृथ्वी के साथ समन्वय बन सके, प्रकृति को उतना ही छेड़ो जो आवश्यक है और self sustainable develop करो."