Uttarkashi Tunnel Rescue: रैट माइनर्स बने मजदूरों के लिए मसीहा, 30 घंटे में पूरा किया रेस्क्यू ऑपरेशन

Uttarkashi Tunnel Rescue: सुरंग खोदने में माहिर रैट माइनर्स टीम के छह सदस्यों ने बचाव अभियान की राह में आई सबसे बड़ी बाधा को 30 घंटे के अंदर दूर कर दिया मजदूरों को टनल से सुरक्षित बाहर निकाला.

Shabnaz Khanam
Shabnaz Khanam

Uttarkashi Tunnel Rescue: रैट माइनर्स टीम के छह सदस्यों ने 17 दिनों से सुरंग में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में निर्णायक भूमिका निभाई. सदस्यों ने रेस्क्यू ऑपरेशन की राह में आई सबसे बड़ी बाधा को 30 घंटे के भीतर दूर कर दिया. सोमवार सुबह टीम ने सुरंग में फंसी ऑगर मशीन को काटकर बाहर निकाला. इसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू हुई और देर शाम तक एक मीटर और निकासी सुरंग बना ली गई.

दो घंटे में एक मीटर की खुदाई 

सोमवार सुबह इस टीम ने निकासी सुरंग के अंदर काम शुरू किया और वहां फंसी औगर मशीन को काटकर बाहर निकाला. इसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू हुई और देर शाम तक एक मीटर और निकासी सुरंग बना ली गई. खुदाई में टीम की गति दो घंटे में एक मीटर रही और पूरी रात कठिन परिश्रम के बाद मंगलवार दोपहर टीम नौ मीटर खुदाई कर मजदूरों के पास पहुंची. टीम को 57 मीटर पर सफलता मिली, जबकि टीम ने 48.8 मीटर से आगे खुदाई शुरू की.

एक समय में दो सदस्य पाइप के अंदर रहते हैं

एक समय में दो रैट माइनर्स मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए निकासी सुरंग के 800 मिमी व्यास वाले पाइप के अंदर गए. सामने वाले  रैट माइनर ने मैन्युअल ड्रिलिंग की, जबकि दूसरे ने मलबे को पुली ट्रॉली में लोड किया. सुरंग के बाहर मौजूद तीसरे रैट माइनर ने मलबे से भरी पुली को खींचने का काम किया. टीम की मैनुअल ड्रिलिंग की गति दो घंटे में एक मीटर रही. अब तक टीम ने सिर्फ भूमिगत सुरंग खोदने का काम किया था, लेकिन इस टीम ने पहली बार रेस्क्यू ऑपरेशन में हिस्सा लिया.

रैट माइनर्स की टीम में चार सदस्य राकेश राजपूत, बाबू डामोर, भूपेन्द्र राजपूत, जैताराम के साथ प्रसादी लोदी भी शामिल थे, जो मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के केलपुरा गांव के रहने वाले हैं. टीम के सदस्य सूर्य कुमार बिहार के रहने वाले हैं.

किस प्रकार होती है रैट माइनिंग

रैट माइनिंग में खनन के लिए एक छेद जैसा रास्ता बनाया जाता है, जिसमें एक या दो लोगों के प्रवेश के लिए ही पर्याप्त जगह होती है. पूरा काम गैंती, फावड़ा, टोकरी और रस्सी जैसे उपकरणों की मदद से किया जाता है. एक आदमी खुदाई करता है और दूसरा कोयला या अन्य खनिज या मलबा इकट्ठा करता है. 

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29 November 2023, 06:29 AM IST

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