19 सितंबर से पहले उपराष्ट्रपति का चुनाव, क्या INDIA ब्लॉक हासिल कर पाएगा जादुई आंकड़ा?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद संसद में 60 दिन के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होगा. यह चुनाव सांसदों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से संपन्न किया जाएगा.

21 जुलाई को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई. इसके तुरंत बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कार्यवाहक सभापति के रूप में पदभार संभाल लिया. संवैधानिक रूप से यह वही पद होता है जो उपराष्ट्रपति का होता है.
उपराष्ट्रपति के चुनाव पर ध्यान केंद्रित
अब देश का ध्यान नए उपराष्ट्रपति के चुनाव पर केंद्रित है. भारतीय चुनाव आयोग को 19 सितंबर से पहले इस पद के लिए चुनाव कराना अनिवार्य है. उपराष्ट्रपति का चुनाव आम जनता द्वारा नहीं बल्कि संसद के दोनों सदनों के 782 मौजूदा सांसदों द्वारा किया जाएगा. यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली से होता है.
इस प्रणाली में हर सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के क्रम में रैंक करता है. उम्मीदवार को जीत हासिल करने के लिए 392 वोटों की जरूरत होती है. यदि कोई उम्मीदवार पहले दौर में यह संख्या प्राप्त नहीं करता, तो सबसे कम वरीयता वाले उम्मीदवार को बाहर किया जाता है और उसके मत दूसरी पसंद के अनुसार अन्य उम्मीदवारों को स्थानांतरित किए जाते हैं. यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार नहीं कर लेता.
इस चुनाव की प्रक्रिया अधिसूचना से शुरू होगी, जिसमें चुनाव कार्यक्रम का ऐलान होगा. उसके बाद नामांकन, मतदान, मतगणना और अंत में विजयी उम्मीदवार की शपथ ग्रहण प्रक्रिया होगी.
जल्द होगी चुनाव की तारीखों की घोषणा
यदि विपक्षी INDIA गठबंधन एक साझा उम्मीदवार उतारने में विफल रहता है, तो बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA गठबंधन मजबूत स्थिति में रहेगा. ऐसे में उनके उम्मीदवार का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है, बशर्ते कोई बड़ा समीकरण न बदले. चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द ही चुनाव आयोग द्वारा की जाएगी.


