Video: पानी और खून साथ नहीं बहेगा, फिर क्रिकेट क्यों... ओवैसी ने ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए कड़े सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए पूछा कि जब सरकार पाकिस्तान के साथ व्यापार बंद कर चुकी है और नावों को आने नहीं देती, तो क्रिकेट मैच की इजाजत कैसे दी जा रही है. बैसरन घाटी में हुए हमले के बाद भी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए. उन्होंने विदेश नीति, अमेरिका की भूमिका और चीन से जवाब न मांगने को भी सरकार की कमजोरी बताया.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने बयानों का हवाला देते हुए सरकार की आलोचना की है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री ने खुद कहा था कि "खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते" और "आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते", तो बैसरन घाटी में नागरिकों की हत्या के बाद भी भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच की इजाज़त क्यों दी जा रही है? ओवैसी ने इसे सरकार की दोहरी नीति बताया.
व्यापार बंद, नावें रोकी गईं तो क्रिकेट कैसे जायज?
#WATCH | During the discussion on Operation Sindoor in the House, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says, "Does your conscience allow you to ask the family members of the people who were killed in Baisaran to watch India's cricket match with Pakistan?... We are stopping 80% of Pakistan's… pic.twitter.com/SBXH3ijGTF
— ANI (@ANI) July 28, 2025
बैसरन घाटी में हमला जिम्मेदार कौन?
बैसरन घाटी में सीमा पार से आए आतंकियों द्वारा नागरिकों की हत्या पर ओवैसी ने सरकार से जवाबदेही तय करने की मांग की. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों में तालमेल की भारी कमी है. पहले सरकार ने कहा कि बैसरन घाटी बंद है, फिर सामने आया कि वह सामान्य दिनों में खुली रहती है. इससे नीति में विरोधाभास साफ नजर आता है.
पाकिस्तान और इजरायल को बताया विफल देश
अपने भाषण में ओवैसी ने पाकिस्तान और इजरायल दोनों को विफल देश करार दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सेना प्रमुख उस देश (इजरायल) के राष्ट्रपति के साथ बैठकर खाना खा रहा है, जिसके कारण भारत में लोग मारे जा रहे हैं. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर यही भारत की कूटनीतिक सफलता है, तो यह शर्म की बात है.
सीजफायर का ऐलान विदेश से क्यों?
ओवैसी ने कहा कि यह भारत के आत्मसम्मान के खिलाफ है कि कोई विदेशी देश व्हाइट हाउस से बैठकर भारत-पाक के बीच सीजफायर का ऐलान करे और भारत उसे मान ले. उन्होंने पूछा कि क्या हमारी सेना और पायलटों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा? उन्होंने अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर वह भारत का दोस्त है, तो भारत उसके सामने अपनी बात रखने में संकोच क्यों कर रहा है?
चीन से सवाल क्यों नहीं?
ओवैसी ने सरकार से पूछा कि क्या भारत ने कभी चीन से यह पूछा कि वह पाकिस्तान को हथियार क्यों देता है? उन्होंने कहा कि अगर भारत वास्तव में विश्वगुरु बनने की बात करता है, तो उसे अमेरिका, G7 देशों और खाड़ी देशों को मनाना चाहिए कि वे पाकिस्तान को फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में डालें.
विदेश नीति को राजनीति से दूर रखें... ओवैसी
अंत में असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को चेतावनी दी कि विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को राजनीति का हथियार न बनाया जाए. उन्होंने याद दिलाया कि गलवान संघर्ष के समय जब अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की थी, तब भारत ने उसे ठुकरा दिया था. लेकिन अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप भारत-पाक मामलों में खुलकर बयान दे रहे हैं, जो भारत की कूटनीतिक कमजोरी को दर्शाता है.


