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ट्रंप ने नहीं कराया सीजफायर, खुद गिड़गिड़ाया था पाकिस्तान... ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान बोले जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संसद में बताया कि अप्रैल से जून तक प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई, और अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में कोई भूमिका नहीं निभाई. उन्होंने भारत के नागरिकों की सुरक्षा का अधिकार और पाकिस्तान के असली चेहरे को दुनिया के सामने उजागर किया. साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर और डोकलाम संकट पर सरकार के कड़े कदमों की जानकारी दी.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

संसद के मानसून सत्र में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संसद में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की मीटिंग से लेकर पाकिस्तानी दूतावास के कुछ सदस्यों को पर्सन ऑफ नॉन ग्रेटा घोषित करने तक सरकार के कई अहम कदमों का ब्यौरा दिया.

PM मोदी और ट्रंप के बीच नहीं हुई कोई बातचीत 
उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल से 17 जून तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई. इसके अलावा, उन्होंने साफ किया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सीजफायर कराने में कोई भूमिका नहीं निभाई. इसके बजाय, पाकिस्तान ही भारत के सामने गिड़गिड़ाता नजर आया.

केवल 3 देशों ने ऑपरेशन का विरोध किया

जयशंकर ने कहा कि भारत ने दूतावासों को ब्रीफिंग दी और मीडिया के जरिए भी यह स्पष्ट किया कि देश को अपने नागरिकों की सुरक्षा का पूरा अधिकार है. उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है जबकि भारत नहीं है. भारत ने पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर किया. जब पाकिस्तान ने भारत की "रेड लाइन" पार की, तब भारत को सख्त कदम उठाने पड़े. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से केवल तीन देशों ने इस ऑपरेशन का विरोध किया, जिनमें पाकिस्तान भी शामिल था.

आतंकवाद के खिलाफ भारत का जवाब
विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की थी, जबकि पाकिस्तान ने आतंकी संगठन TRF का बचाव किया. भारत ने 7 मई को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर एक कड़ा संदेश दिया और पाकिस्तान को सबक सिखाया.

डोकलाम संकट और चीन के साथ संबंध
डोकलाम विवाद पर जयशंकर ने कहा कि उस समय विपक्षी नेताओं ने सरकार और विदेश मंत्रालय से कोई जानकारी नहीं ली, बल्कि चीनी राजदूत से ही जानकारी हासिल की. जबकि भारतीय सेना उस समय डोकलाम में चीनी सैनिकों के साथ जूझ रही थी.

आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए गए थे, न कि...
इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि वे चीन तनाव कम करने, व्यापार प्रतिबंध हटाने और आतंकवाद पर चर्चा करने के लिए गए थे, न कि ओलंपिक में भाग लेने के लिए. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि जब विपक्ष ओलंपिक देख रहा था, चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों को स्टेपल्ड वीजा जारी कर रहा था, जिसे भारत ने रोक दिया था.

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28 July 2025, 09:58 PM IST

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