कौन हैं वो मुफ्ती? जिन्होंने निमिषा प्रिया को बचाने के लिए यमन के मौलाना से की अपील, फिर...
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को यमन में अस्थायी रूप से टाल दिया गया है, जिसमें भारत के वरिष्ठ इस्लामिक धर्मगुरु कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार की निर्णायक भूमिका रही.

यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी अब भी अधर में लटकी हुई है. इसी बीच, भारत के 94 वर्षीय प्रतिष्ठित इस्लामिक धर्मगुरु कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार की भूमिका इस पूरे घटनाक्रम में बेहद निर्णायक रही है. उन्होंने यमन के हूती-नियंत्रित इलाकों में अपनी धार्मिक पहुंच के दम पर वो दरवाजे खोले, जहां भारत की कूटनीति भी सीमित हो गई थी.
केरल की रहने वाली 38 साल की निमिषा प्रिया को यमन में 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई और 16 जुलाई को फांसी की तारीख तय की गई थी. लेकिन ठीक उससे पहले मुसलियार के धार्मिक प्रयासों से फांसी पर अस्थायी रोक लगाई गई है.
कौन हैं कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार?
कंथापुरम मुसलियार का असली नाम शेख अबू बक्र अहमद है. वे केरल के कोझिकोड निवासी हैं और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव हैं. दक्षिण भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय में उन्हें सर्वोच्च धार्मिक नेतृत्व का दर्जा प्राप्त है. उनके अनुयायी उन्हें 'ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया' के रूप में मान्यता देते हैं, हालांकि ये पद औपचारिक रूप से सरकार द्वारा नहीं दिया गया है. वे मर्कज़ नॉलेज सिटी नामक सांस्कृतिक और शैक्षणिक परियोजना के चेयरमैन भी हैं, जो इस्लामिक परंपराओं और आधुनिक शिक्षा को जोड़ने का कार्य करती है.
अपील के बाद यमन के धार्मिक नेताओं की बैठक
निमिषा प्रिया की फांसी से पहले भारत के पास यमन में प्रभाव डालने के कूटनीतिक विकल्प बहुत सीमित थे क्योंकि भारत का हूती विद्रोहियों से कोई औपचारिक संबंध नहीं है. ऐसे में मुसलियार ने यमन के सूफी विद्वानों से संपर्क किया और शरीया कानून के आधार पर रहम की अपील की. उन्होंने कहा कि मैंने यमन के जिम्मेदार इस्लामी स्कॉलर्स से संपर्क किया और उन्हें हालात समझाए. शरीया में हत्या के दोषी को पीड़ित परिवार द्वारा माफ किया जा सकता है या मुआवजा (दीया) लिया जा सकता है. मुसलियार की अपील के बाद यमन के धार्मिक नेताओं की बैठक बुलाई गई.
पीएमओ को भी दी जानकारी
मौलाना मुसलियार ने अपने प्रयासों की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भी दी और अपील की कि इस मानवीय कोशिश में सरकार भी समर्थन करे. उन्होंने इस विषय पर औपचारिक पत्र भेजा है ताकि भारत की ओर से दी जाने वाली ब्लड मनी की पेशकश को स्वीकार करने में मदद मिल सके.


