क्यों लाया जा रहा है न्यूक्लियर एक्ट में बदलाव? जिम्मेदारी से विकास तक की भारत की पूरी कहानी
सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 पेश कर रही है, जिससे प्राइवेट कंपनियों को न्यूक्लियर सेक्टर में निवेश और संचालन का मौका मिलेगा. NPCIL के नियंत्रण वाले क्षेत्र में बदलाव से SMR (Small Modular Reactors) और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 पेश करने जा रही है. वर्तमान में भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम के तहत संचालित होता है, जिसमें केवल सरकारी संस्थाओं को परमाणु ऊर्जा उत्पादन और संचालन की अनुमति है. यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो प्राइवेट कंपनियों के लिए सिविल न्यूक्लियर सेक्टर में निवेश और भागीदारी का मार्ग खुल जाएगा.
आपको बता दें कि सरकार इस कदम के माध्यम से परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में प्राइवेट निवेश और तकनीकी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहती है. इसके साथ ही कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नए प्रावधान भी शामिल किए जा सकते हैं. लोकसभा बुलेटिन के अनुसार, यह विधेयक 1 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.
विधेयक की शुरुआत और उद्देश्य
CLNDA और परमाणु ऊर्जा अधिनियम की भूमिका
परमाणु ऊर्जा अधिनियम प्राइवेट सेक्टर और राज्य सरकारों को परमाणु कार्यक्रमों में भागीदारी से रोकता है. CLNDA किसी दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे और जिम्मेदारी तय करता है. वर्तमान में NPCIL (Nuclear Power Corporation of India Limited) देश के सभी 24 कमर्शियल न्यूक्लियर रिएक्टर चला रही है.
सरकार का यह प्रयास है कि प्राइवेट कंपनियां भी न्यूक्लियर प्रोजेक्ट में निवेश करें, जिससे 2047 तक 100 गीगावॉट का लक्ष्य पूरा किया जा सके. इसके तहत SMR (Small Modular Reactors) और स्वदेशी तकनीक पर जोर दिया जा रहा है.
कानून में बदलाव की आवश्यकता
विदेशी कंपनियां CLNDA के कड़े प्रावधानों के कारण भारत में निवेश से बचती रही हैं. दुर्घटना की स्थिति में भारी मुआवजा और जुर्माना उनके लिए जोखिम पैदा करता है. विधेयक के माध्यम से कंपनियों को लाइसेंसिंग प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा और जिम्मेदारियां साझा की जाएंगी. इससे विदेशी और निजी निवेशकों को भारत में प्रवेश करने का अवसर मिलेगा.
संसद में प्रस्तावित बदलाव
• निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा उत्पादन और संचालन की अनुमति.
• ऊर्जा मंत्रालय को विकास और निगरानी में जिम्मेदारियां.
• CLNDA में ढील, जिससे विदेशी निवेशकों को सुविधा.
• सरकार का उद्देश्य है कि टाटा, अडाणी, रिलायंस जैसी कंपनियां भी परमाणु ऊर्जा प्लांट स्थापित कर सकें.
इस विधेयक के पारित होने के बाद भारत 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर पावर का लक्ष्य हासिल कर सकता है, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी और स्वच्छ बिजली की आपूर्ति बढ़ेगी.


