जनसंख्या 11,000 और डूबता खतरा: ऑस्ट्रेलिया ने खोले दरवाजे, पूरी कहानी यहां पढ़ें
तुवालु एक छोटा द्वीपीय देश, समुद्र स्तर बढ़ने से अस्तित्व संकट में है. अगले 25 वर्षों में डूबने की आशंका, दो द्वीप पहले ही गायब, ऑस्ट्रेलिया ने 280 नागरिकों को पुनर्वास का समझौता किया, यह वैश्विक जलवायु संकट की चेतावनी है.

जलवायु परिवर्तन अब दूर का खतरा नहीं, बल्कि वर्तमान की एक भयावह वास्तविकता बन चुका है. समुद्र स्तर में तेज़ी से हो रही वृद्धि ने कई देशों के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है. इनमें सबसे गंभीर स्थिति प्रशांत महासागर में स्थित छोटे से द्वीपीय देश तुवालु की है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 25 वर्षों में यह पूरी तरह डूब सकता है. वायर्ड की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, तुवालु के लोग पहले से ही अपने घर छोड़कर पलायन करने लगे हैं, जो दुनिया में योजनाबद्ध जलवायु प्रवास का पहला उदाहरण है.
केवल 2 मीटर ऊंचाई पर स्थित देश
तुवालु नौ प्रवाल द्वीपों और एटोल्स से मिलकर बना है, जिसकी कुल आबादी लगभग 11,000 है. यह देश समुद्र तल से औसतन केवल 2 मीटर ऊपर है, जिससे इसे बाढ़ और समुद्री तूफानों का गंभीर खतरा बना रहता है. समुद्र स्तर में मामूली वृद्धि भी यहाँ के अस्तित्व के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है.
दो द्वीप पहले ही समंदर में समा गए
जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर में वृद्धि ने तुवालु के नौ द्वीपों में से दो को पहले ही निगल लिया है. नासा के आँकड़ों के अनुसार, 2008 से 2023 के बीच तुवालु के आसपास समुद्र का स्तर 15 सेंटीमीटर बढ़ चुका है. यदि यही रफ्तार जारी रही, तो वैज्ञानिकों का अनुमान है कि साल 2050 तक तुवालु पूरी तरह पानी में डूब जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के साथ सुरक्षा समझौता
इस गंभीर संकट से निपटने के लिए, तुवालु ने 2023 में फाओलेपिली समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत ऑस्ट्रेलिया हर साल 280 तुवालु नागरिकों को स्थायी निवास प्रदान करेगा. यह कदम जलवायु प्रवासियों के पुनर्वास की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है.
आवेदन प्रक्रिया और चयन
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग के अनुसार, पहले दौर में 8,750 से अधिक तुवालुवासियों ने आवेदन किया. चूँकि हर साल केवल 280 सीटें उपलब्ध हैं, इसलिए चयन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया गया. यह प्रक्रिया 25 जुलाई को पूरी हुई और चयनित लोग अब ऑस्ट्रेलिया में नया जीवन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं.
वैश्विक चेतावनी
तुवालु का संकट दुनिया के लिए एक कड़ा संदेश है. अगर समुद्र स्तर में बढ़ोतरी और ग्लोबल वार्मिंग पर तत्काल और निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दशकों में कई तटीय शहर और द्वीपीय देश भी इसी तरह की त्रासदी झेल सकते हैं. यह केवल तुवालु का संकट नहीं, बल्कि एक वैश्विक पर्यावरणीय आपातकाल है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है.


