score Card

भारत समेत 141 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हमास मुक्त फिलिस्तीनी राज्य के पक्ष में की वोटिंग, 12 देशों ने बनाई दूरी

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान हेतु ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ को मंजूरी दी, जिसमें दो-राज्य समाधान का समर्थन और हमास को बाहर रखा गया है. भारत समेत 142 देशों ने समर्थन किया, जबकि 10 ने विरोध और 12 ने मतदान से दूरी बनाई. यह घोषणा भविष्य की शांति वार्ताओं का आधार मानी जा रही है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी. इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से ‘फिलिस्तीन के प्रश्न के शांतिपूर्ण समाधान और दो-राज्य समाधान के कार्यान्वयन पर न्यूयॉर्क घोषणा’ कहा जाता है. इस घोषणा में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को समाप्त करने के लिए दो अलग-अलग स्वतंत्र राज्यों के गठन की बात कही गई है.

इस घोषणा का एक अहम पहलू यह है कि इसमें हमास को किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं दी गई है. हमास वर्तमान में गाजा पट्टी पर नियंत्रण रखता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक बड़ा हिस्सा इसे हिंसक गतिविधियों और आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराता है. इसीलिए इस घोषणा में साफ किया गया है कि शांति प्रक्रिया में हमास की भागीदारी नहीं होगी.

भारत समेत 142 देशों ने दिया समर्थन

इस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान कुल 142 देशों ने पक्ष में मतदान किया, जो वैश्विक स्तर पर इस समाधान को व्यापक समर्थन का संकेत देता है. भारत भी उन देशों में शामिल रहा जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.

वहीं, 10 देशों ने इस घोषणा के खिलाफ वोट डाला, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अभी भी कुछ राष्ट्र इस तरह के समाधान पर सहमत नहीं हैं. इसके अलावा 12 देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी, यानी उन्होंने न तो समर्थन में और न ही विरोध में वोट दिया.

यह भारी बहुमत इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए गंभीर है और लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए किसी ठोस दिशा में बढ़ना चाहता है.

जुलाई में हुई थी घोषणा की शुरुआत

न्यूयॉर्क घोषणा की शुरुआत इस वर्ष जुलाई में हुई थी, जब 17 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने मिलकर इस मसौदे को तैयार किया और उस पर सह-हस्ताक्षर किए. इसके बाद इसे महासभा के समक्ष रखा गया और चर्चा के उपरांत इस पर मतदान कराया गया. यह घोषणा न केवल दो-राज्य समाधान का समर्थन करती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि भविष्य में किसी भी शांति वार्ता में आतंकवाद और हिंसक गतिविधियों को कोई स्थान नहीं मिलेगा.

शांति की दिशा में अहम कदम

विश्लेषकों का मानना है कि महासभा द्वारा इस घोषणा को पारित किया जाना इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है. हालांकि इस तरह के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन यह विश्व समुदाय की सामूहिक इच्छा और रुख को प्रदर्शित करते हैं.

भारत सहित अधिकांश देशों का मानना है कि स्थायी शांति तभी संभव है जब दोनों पक्ष स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से साथ-साथ रह सकें. इस घोषणा को इसी दिशा में एक शुरुआती आधार माना जा रहा है, जो भविष्य की शांति वार्ताओं के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

calender
12 September 2025, 10:24 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag